Israel-Hezbollah War: मध्य पूर्व में चल रही पुरानी दुश्मनी एक बार फिर उफान पर है। लेबनान के हिजबुल्लाह ने सोमवार को इजरायल पर 165 रॉकेट दागे, जिससे इजरायल के कई शहरों में तबाही का मंजर देखने को मिला। इजरायल के आयरन डोम रक्षा प्रणाली के बावजूद इन रॉकेट हमलों से कई लोग घायल हुए और इमारतों को भी नुकसान पहुंचा।
क्या है हमले के पीछे की वजह?
यह हमला इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा हिजबुल्लाह के सदस्यों के खिलाफ सितंबर में हुए एक पेजर ब्लास्ट की जिम्मेदारी लेने के बाद हुआ है। नेतन्याहू के इस कदम के जवाब में हिजबुल्लाह ने इसे एक बदले की कार्रवाई बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि नेतन्याहू के इस कदम से हिजबुल्लाह को उकसाने का अवसर मिला है, जिससे तनाव बढ़ा है।
इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में मची तबाही
लेबनान के इस हमले से इजरायल के उत्तरी इलाके में अफरा-तफरी मच गई। इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने सोशल मीडिया पर इस हमले का वीडियो साझा करते हुए बताया कि उत्तरी इजरायल के कई कस्बों पर रॉकेट गिरने के कारण एक साल की बच्ची समेत सात लोग घायल हुए हैं। गैलिली के आसपास के इलाके, विशेष रूप से बिइना कस्बे में हुए हमलों से लोगों के घर और गाड़ियां प्रभावित हुई हैं। इन घायलों को गैलिली मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।
हिजबुल्लाह का जवाबी बयान
हिजबुल्लाह ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उनके लड़ाकों ने इजरायल के कार्मिएल क्षेत्र और कार्मेल बस्ती में पैराट्रूपर्स ब्रिगेड के प्रशिक्षण अड्डे को निशाना बनाया है। इस बयान के साथ ही हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करते हुए स्पष्ट किया कि इजरायल को और अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए वे हर समय तैयार हैं।
क्या आगे और बढ़ सकता है तनाव?
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार की स्थिति बेहद संवेदनशील है। पहले भी दोनों के बीच संघर्ष होते रहे हैं, परंतु इस बार हिजबुल्लाह का बड़ा हमला क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। इजरायल के अधिकारी अब हिजबुल्लाह के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए अपने सैन्य बल को और मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस समय लेबनान और इजरायल के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। दोनों पक्षों की ओर से युद्धविराम की कोई संभावना नहीं दिख रही है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। ऐसे में क्षेत्रीय शक्तियों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे कूटनीतिक प्रयासों के जरिए इस संघर्ष को रोकने की कोशिश करें ताकि मध्य पूर्व में शांति बहाल हो सके।