Bangladesh Violence News: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन हिंसक रूप ले लिया है. हिंसक आंदोलनों ने पिछले 15 दिनों से वहां की पुलिस, प्रशासन और पूरी सत्ता को हिलाकर रख दिया है. बांग्लादेश के नौजवान न पुलिस की सुन रहे हैं न कानून को मान रहे हैं, न ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के न्याय वाले भरोसे का उन पर कोई असर हो रहा है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका विरोध प्रदर्शन का एपिसेंटर बना हुआ है. हिंसक आंदोलन को देखते हुए पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है. इसका ऐलान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने किया.
आरक्षण के विरोध में देशव्यापी आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है. अब तक बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में कम से कम 47 लोगों की मौत हो चुकी है. 2500 लोग घायल हो चुके हैं. शहर-शहर प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच हिंसक झड़प देखने को मिल रही है. ऐसा लग रहा है हालात आउट ऑफ कंट्रोल हो चुके हैं. कई शहरों में लाठी, डंडे और पत्थर लेकर प्रदर्शनकारी सड़कों पर घूम रहे हैं.
बसों और वाहनों में आग लगा रहे हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में सरकारी नेशनल टेलीविजन पर आकर देश को संबोधित किया था. उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की थी, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ. बताया जा रहा है इसके बाद प्रदर्शनकारी और ज्यादा आक्रोशित हो गए. उन्होंने सरकारी टेलीविजन के दफ्तर पर अटैक कर उसे फूंक दिया. जिस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकारी टेलीविजन के दफ्तर में आग लगाई, इसमें कई पत्रकारों के साथ करीब 1200 कर्मचारी मौजूद थे. पुलिस-प्रशासन ने कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें किसी तरह बचाया.
विरोध हो क्यों रहा है?
- बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का विरोध हो रहा है.
- साल 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले सैनिकों के बच्चों के लिए आरक्षण बढ़ाने का विरोध हो रहा है
- 1971 में पाकिस्तान से आजादी की जंग लड़ने वालों को मुक्ति योद्धा कहा जाता है
- नया फैसला ये है कि एक तिहाई सरकारी नौकरियां मुक्ति योद्धा के बच्चों के लिए आरक्षित है
- आरक्षण के विरोध में शहर-शहर सड़कों पर युवा उतर चुके हैं
- उन्होंने आरक्षण की व्यवस्था को भेदभावपूर्ण बताया है
- ये भी कहा है कि मेरिट के आधार पर नौकरी दी जानी चाहिए
- बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था के बारे में भी जान लीजिए
- बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानी यानी .मुक्ति योद्धा के बच्चों को 30 फीसदी आरक्षण दिया है.
- महिलाओं के लिए 10 फीसदी आरक्षण
- अलग-अलग जिलों के लिए 10 फीसदी आरक्षण तय हैं
- जातिगत अल्पसंख्यकों के लिए 6 फीसदी कोटा है. जिसमें संथाल, पांखो, त्रिपुरी, चकमा और खासी आते हैं.
- सभी आरक्षणों को जोड़कर 56 फीसदी होता है.
- बाकी 44 फीसदी मेरिट के लिए रखा गया है. इसी का विरोध हो रहा है.
- आपको ये भी जानकारी दे दें कि बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए अलग आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है