Economy of India: बीते कुछ वर्षों से भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, जिसमें हर साल देश की जीडीपी ग्रोथ 7% से अधिक बनी हुई है। हालांकि, वर्तमान वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर कई तरह की चिंताएं उठाई जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक जैसी संस्थाएं भारत की ग्रोथ का आउटलुक 7% या उससे अधिक बता रही हैं, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो सकेगा? इस प्रश्न का उत्तर महंगाई के आंकड़ों और घटते सरकारी खर्च में छिपा है।
अर्न्स्ट एंड यंग की रिपोर्ट का विश्लेषण
हाल ही में अर्न्स्ट एंड यंग (EY) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अगर वित्त वर्ष 2025 में 7% या उससे अधिक की जीडीपी ग्रोथ बनाए रखनी है, तो दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा: सरकारी निवेश को मजबूत बनाए रखना और महंगाई पर नियंत्रण रखना। ईवाई की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मौजूदा ग्रोथ आउटलुक मिश्रित है, और बढ़ती महंगाई के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति में सतर्कता बनाए रखी है।
महंगाई की बढ़ती समस्या
सितंबर 2024 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर महंगाई 5.5% के स्तर पर पहुंच गई थी, जिससे वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में औसत महंगाई 4.2% हो गई, जो आरबीआई के लक्ष्य 4.1% से थोड़ी अधिक है। तीसरी तिमाही के अनुमान बताते हैं कि महंगाई 4.8% तक बढ़ सकती है, जिससे आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने में देरी हो सकती है।
आरबीआई ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान लगातार 10वीं बार अपने रेपो रेट को स्थिर रखा, जबकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की थी। इसके बावजूद, आरबीआई भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ के प्रति आशावादी है और 7.2% की दर का अनुमान लगा रहा है, जो व्यक्तिगत खपत और निवेश में वृद्धि पर आधारित है।
सरकारी खर्च में कमी
हाल के दिनों में सरकारी निवेश में कमी आई है, जो कि लगभग 19.5% तक गिर चुका है। सरकारी खर्च देश की आर्थिक वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जबकि व्यक्तिगत आयकर राजस्व में 25.5% की वृद्धि देखी जा रही है, वहीं कॉर्पोरेट टैक्स राजस्व में 6% की कमी आई है। यह स्थिति सरकार के लिए चुनौती पेश करती है, जिसके परिणामस्वरूप उसे पूंजीगत व्यय में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण
हालिया आर्थिक आंकड़े वृद्धि में नरमी का संकेत देते हैं। मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई (PMI) सितंबर में 56.5 पर गिर गया, जबकि सर्विस पीएमआई जनवरी 2024 के बाद पहली बार 60 से नीचे आया। इसके अलावा, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) अक्टूबर 2022 के बाद पहली बार घटा है, जो व्यापक आर्थिक चुनौतियों को दर्शाता है। IMF ने हाल ही में भारत की ग्रोथ का अनुमान 7% रखा है, जो पिछले वित्त वर्ष में 8.2% से कम है, और वित्त वर्ष 2026 के लिए 6.5% का अनुमान लगाया है। इस मंदी के लिए मांग की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया है।
निष्कर्ष
भारत की अर्थव्यवस्था के सामने वर्तमान में कई चुनौतियाँ हैं। महंगाई की बढ़ती दर और सरकारी निवेश में कमी से जीडीपी ग्रोथ पर दबाव पड़ सकता है। अर्न्स्ट एंड यंग की रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत को अपनी ग्रोथ बनाए रखनी है, तो उसे इन चुनौतियों का सामना करना होगा। अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने होंगे, ताकि विकास की गति को बनाए रखा जा सके। आने वाले समय में ये निर्णय ही भारत की आर्थिक दिशा को तय