Bharatiya Janata Party: महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बहुमत का दावा कर सत्ता में आने का संकेत दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा अभी भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है। महाराष्ट्र के सीएम पद को लेकर 72 घंटे से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, और ऐसे में भाजपा की परंपरा को देखते हुए एक सरप्राइज चेहरे की एंट्री की अटकलें तेज हो गई हैं।
भाजपा और सरप्राइज चेहरे की परंपरा
भाजपा की सरकार गठन की प्रक्रिया में अक्सर मुख्यमंत्री का चयन एक अप्रत्याशित फैसले के रूप में सामने आता है। पार्टी ने 2014 के बाद से कई बार ऐसे चेहरे चुने हैं, जो सीएम पद की दौड़ में स्पष्ट दावेदार नहीं थे।
ओडिशा: मोहन माझी का सरप्राइज चयन (2024)
ओडिशा में 2024 में भाजपा ने सरकार बनाई, लेकिन मुख्यमंत्री का चयन 8 दिन बाद हुआ। धर्मेंद्र प्रधान और मनमोहन सांबल जैसे वरिष्ठ नेताओं की जगह पार्टी ने आदिवासी नेता मोहन माझी को सीएम बनाकर सबको चौंका दिया।
राजस्थान: भजनलाल शर्मा की अप्रत्याशित एंट्री (2023)
राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद 9 दिन की माथापच्ची के बाद भाजपा ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया। वसुंधरा राजे और किरोड़ी लाल मीणा जैसे दिग्गजों को दरकिनार करते हुए पार्टी ने एक युवा और नए चेहरे को मौका दिया।
मध्य प्रदेश: मोहन यादव का चयन (2023)
मध्य प्रदेश में भी भाजपा ने 2023 में सत्ता में वापसी की, लेकिन शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेता की जगह मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया। 8 दिन के बाद लिया गया यह फैसला भाजपा की रणनीतिक सोच को दर्शाता है।
छत्तीसगढ़: विष्णुदेव साय की नियुक्ति (2023)
छत्तीसगढ़ में 2023 में भाजपा ने 7 दिन के भीतर मुख्यमंत्री का नाम घोषित किया। रमन सिंह और अरुण साव जैसे दावेदारों की जगह पार्टी ने विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर एक बार फिर चौंकाया।
महाराष्ट्र में 2014 की सरप्राइज कहानी
2014 में महाराष्ट्र में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। मुख्यमंत्री पद के लिए नितिन गडकरी, पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े जैसे नाम चर्चा में थे, लेकिन 7 दिन बाद देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया। यह फैसला उस समय अप्रत्याशित था क्योंकि फडणवीस अपेक्षाकृत युवा और कम चर्चित नेता थे।
अन्य राज्यों में भाजपा की रणनीति
भाजपा का सरप्राइज गेम सिर्फ महाराष्ट्र या 2014 तक सीमित नहीं रहा।
- उत्तर प्रदेश (2017): योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना, जब मनोज सिन्हा और केशव प्रसाद मौर्य जैसे नाम दावेदार थे।
- हिमाचल प्रदेश (2017): जयराम ठाकुर का चयन, जब प्रेम कुमार धूमल और जेपी नड्डा जैसे नाम आगे थे।
- उत्तराखंड (2017): त्रिवेंद्र सिंह रावत की अप्रत्याशित नियुक्ति।
जहां जल्द फैसला, वहां पुराने चेहरे
जहां भाजपा ने मुख्यमंत्री चयन में 72 घंटे से कम समय लिया, वहां मौजूदा सीएम को दोबारा मौका मिला। उदाहरण:
- गुजरात (2022): भूपेंद्र पटेल को फिर से मुख्यमंत्री चुना गया।
- हरियाणा (2019): मनोहर लाल खट्टर को दोबारा सीएम बनाया गया।
महाराष्ट्र में आगे की राह
महाराष्ट्र में भाजपा के पास कई संभावित दावेदार हैं, जिनमें देवेंद्र फडणवीस प्रमुख हैं। लेकिन पिछले रुझानों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि फडणवीस को ही दोबारा मौका मिलेगा। पार्टी एक नए और सरप्राइज चेहरे को सामने लाकर राजनीतिक समीकरणों को साध सकती है।
भाजपा की यह रणनीति न केवल सियासी पैंतरेबाजी है, बल्कि इससे पार्टी का आधार मजबूत होता है। अब देखना होगा कि महाराष्ट्र में भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनाती है और यह निर्णय पार्टी के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है।