Uniform Civil Code: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा में यूसीसी बिल को पेश कर दिया है. विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच सीएम धामी ने इस बिल को पेश किया. इसके बाद उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. बता दें कि अगर उत्तराखंड विधानसभा में यह बिल पास होता है तो यूसीसी लागू करने वाला यह देश का दूसरा राज्य बन जाएगा.
गोवा में पहले से ही यूसीसी लागू है. बता दें कि उत्तराखंड में सोमवार से विधानसभा का सत्र शुरू हुआ है. सोमवार को उत्तराखंड कैबिनेट ने सीएम धामी की अध्यक्षता में इस बिल को मंजूरी दी थी. कांग्रेस और मुस्लिम संगठन इस बिल के बिरोध में हैं. कांग्रेस का कहना है कि उत्तराखंड का इस्तेमाल प्रयोग के लिए हो रहा है. वहीं, मुस्लिम संगठन भी इस पर अपनी आपत्ति जता रहे हैं.
यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण- बीजेपी MLA
उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए UCC बिल पर उत्तराखंड भाजपा विधायक शिव अरोड़ा ने कहा कि यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. UCC से बड़ी खुशी क्या हो सकती है? यह लोगों को समान अधिकार देता है. मुख्यमंत्री धामी ने आज इसकी शुरुआत की. बिल पेश होने से पहले सीएम धामी ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि लंबे समय से इस बिल इसकी प्रतीक्षा थी. बता दें कि विधानसभा के आस पास धारा-144 लगा दी गई है.
यूसीसी बिल पर क्या बोले पूर्व CM हरिश रावत?
यूसीसी बिल को लेकर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सीएम धामी की उत्सुकता समझ में आती है. सरकार बनाने के लिए यूसीसी का प्रयोग किया गया. रावत ने कहा कि केंद्र सरकार को यूसीसी लाना चाहिए था. अब दूसरे राज्य भी यूसीसी लाने का प्रयास करेंगे.
बताया जा रहा है कि धामी सरकार का ये कदम 2024 के चुनाव से पहले गेमचेंजर साबित हो सकता है. यूसीसी राज्य में जाति और धर्म के बावजूद सभी समुदायों के लिए समान नागरिक कानून का प्रस्ताव करता है. यह सभी नागरिकों के लिए समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा.
UCC बिल में क्या-क्या है?
- बिल में विवाह पर सभी धर्मों में एक समान व्यवस्था होगी.
- बहुविवाह पर रोक का प्रस्ताव रखा गया है.
- बहुविवाह को मंजूरी नहीं दी जाएगी.
- सभी धर्म के लोगों को शादी का पंजीकरण कराना होगा.
- लड़कियों के लिए शादी की उम्र 18 साल
- लड़कों के लिए शादी की उम्र 21 साल
- सभी धर्म के लोगों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार की वकालत की गई है.
- मुसलमानों में होने वाले इद्दत और हलाला पर रोक लगे.
- लिव-इन रिलेशनशिप रहने पर इसकी जानकारी अपने माता-पिता को देनी जरूरी होगी.
- सभी धर्मों में तलाक को लेकर एक समान कानून और व्यवस्था हो.
- पर्सनल लॉ के तहत तलाक देने पर रोक लगाई जाए.
- बेटी को विरासत में बराबरी का हक
2 लाख 33 हजार लोगों ने अपने विचार दिए
यूसीसी पर चार खंडों और 740 पृष्ठों के ड्राफ्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा था। इसके बाद उत्तराखंड कैबिनेट ने रविवार को यूसीसी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। यूसीसी को लेकर 2 लाख 33 हजार लोगों ने अपने विचार दिए थे। ड्राफ्ट में करीब 10 फीसदी परिवारों के विचारों को सम्मिलित किया गया है।
सदन में बीजेपी के पास बहुमत
सदन में बीजेपी के पास बहुमत है, इसलिए यूसीसी के विधेयक का पारित होना तय माना जा रहा है। बीजेपी के सदन में 47 विधायक हैं। साथ ही उसे दो निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। UCC ड्रॉफ्टिंग कमेटी ने 72 बैठकें की हैं। माना जा रहा है ड्राफ्ट में पारंपरिक रीति रिवाज से छेड़छाड़ नहीं की गई है और यह पूरा ड्राफ्ट महिला केंद्रित होगा। साथ ही संभावना जताई जा रही है कि इससे बहुविवाह पर रोक लगेगी।
2024 के चुनाव का गेमचेंजर फैसला
धामी सरकार का ये कदम 2024 के चुनाव से पहले गेमचेंजर साबित हो सकता है। वहीं कुछ संगठन बिल के विरोध में हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि इस बिल से किसी का नुकसान नहीं होगा। वहीं, विरोध प्रदर्शन को देखते हुए विधानसभा के आस-पास धारा 144 लगा दी गई है। विधानसभा आने जाने वाले रास्तों पर बैरिकेडिंग लगाई गई है।