US News: क्रिसमस से ठीक पहले, अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने करोड़ों अमेरिकियों को एक बड़ा तोहफा दिया है। फेड रिजर्व ने साल की आखिरी बैठक में ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार कटौती का ऐलान किया। यह कटौती 25 बेसिस प्वाइंट की रही, जिससे फेड की नीति दर अब 4.25-4.50 फीसदी की सीमा में आ गई है। बीते चार महीनों में कुल एक फीसदी की कटौती की गई है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में राहत की उम्मीद की जा रही है।
ब्याज दरों में तीसरी बार कटौती
फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने लगातार तीसरी बार दरों में कमी का ऐलान करते हुए कहा कि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए जरूरी है। नवंबर में 25 बेसिस प्वाइंट और सितंबर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद, यह कदम बीते महीनों के आर्थिक दबाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। अगली बैठक 28-29 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद होगी, जिससे मौद्रिक नीतियों में बदलाव की संभावना बनी हुई है।
अगले साल की नीतियां कैसी रहेंगी?
जेरोम पॉवेल के अनुसार, 2025 और 2026 में फेड केवल 50-50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जनवरी 2025 की बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखा जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि फेड अब सावधानी से कदम उठाएगा ताकि आर्थिक स्थिरता और महंगाई के बीच संतुलन बनाया जा सके।
शेयर बाजार पर असर
फेड के इस फैसले का असर अमेरिकी शेयर बाजार पर दिखा। डाउ जोंस, नैसडैक कंपोजिट, और एसएंडपी 500 में गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख कंपनियों जैसे टेस्ला, गूगल (अल्फाबेट), अमेज़न, और माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों में गिरावट आई। इससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है, लेकिन लंबी अवधि में यह कदम अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मददगार हो सकता है।
डॉलर इंडेक्स में उछाल
फेड के फैसले के बाद डॉलर इंडेक्स में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। यह 107.73 के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया, जो बीते तीन महीनों में 7 फीसदी की बढ़त को दर्शाता है। अनुमान है कि डॉलर इंडेक्स जल्द ही 110 के स्तर को पार कर सकता है।
गोल्ड और सिल्वर की कीमतों में गिरावट
सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। कॉमेक्स बाजार में गोल्ड फ्यूचर 28.40 डॉलर प्रति औंस गिरकर 2,633.60 डॉलर पर आ गया, जबकि सिल्वर फ्यूचर 30.60 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। निवेशक अब डॉलर और अन्य परिसंपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं।
भारत पर प्रभाव
भारत में दिसंबर की एमपीसी बैठक में ब्याज दरें स्थिर रखी गईं। हालांकि, नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में फरवरी 2025 की बैठक में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की संभावना है। देश की महंगाई दर के 4 फीसदी के करीब रहने की उम्मीद है। भारतीय सरकार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पहले ही ब्याज दरों में कटौती की वकालत कर चुके हैं, जिससे घरेलू बाजार में मांग को बढ़ावा मिल सकता है।
निष्कर्ष
फेड रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती का यह फैसला अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है। इससे जहां उपभोक्ताओं और उद्योगों को राहत मिलेगी, वहीं शेयर बाजार और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव देखने लायक होगा। भारत जैसे देशों के लिए यह अवसर है कि वे अपने वित्तीय नीतियों में बदलाव कर वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों का लाभ उठा सकें।