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Rahul Gandhi News:मोदी शहंशाह वाला मॉडल चाह रहे थे- हमने संविधान माथे लगवा दिया- राहुल गांधी

Rahul Gandhi News: राहुल गांधी ने शनिवार, 24 अगस्त को प्रयागराज में संविधान सम्मान सम्मेलन में केंद्र सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की।

Rahul Gandhi News: राहुल गांधी ने शनिवार, 24 अगस्त को प्रयागराज में संविधान सम्मान सम्मेलन में केंद्र सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एक "राजा, महाराजा, शहंशाह वाला मॉडल" लागू करने की कोशिश कर रही है और खुद को संविधान के प्रति समर्पित करने के लिए मजबूर कर दिया। राहुल ने भाजपा को अपना गुरु मानते हुए स्वीकार किया कि उन्होंने ही उन्हें यह सिखाया कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

राहुल गांधी ने सम्मेलन में लगभग 40 मिनट तक विचार साझा किए और भारतीय समाज की विविधता और उसकी ताकत का उल्लेख किया। उन्होंने धोबी, मोची और बढ़ई जैसे पारंपरिक कारीगरों की महत्ता पर जोर दिया, यह बताते हुए कि उनके पास असाधारण स्किल और ताकत है। उन्होंने सुल्तानपुर के मोची रामचैत की कहानी साझा की, जो पिछले 40 सालों से मोची का काम कर रहे हैं लेकिन सम्मान की कमी का सामना कर रहे हैं।

राहुल ने यूपीए सरकार के समय एक उदाहरण साझा करते हुए कहा कि कैसे उन्होंने आईटीआई के बारे में बात की और सुझाव दिया कि देश के पारंपरिक कारीगरों से कौशल प्रशिक्षण लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हमें लाखों बढ़ई या नाई तैयार करने हैं, तो हमें मौजूदा कारीगरों की विशेषज्ञता का उपयोग करना चाहिए, जो छुपी हुई प्रतिभा से भरे हुए हैं।

राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार की नीतियां देश की वास्तविक जनसंख्या के हिसाब से नहीं बनाई जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां सिर्फ कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों और 30 फीसदी अमीर वर्ग के लिए ही लाभकारी हैं, जबकि 70 फीसदी आबादी को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलना चाहिए और नीतियों को देश की पूरी आबादी की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाना चाहिए। राहुल ने कहा कि जब तक नीतियों को वास्तविक आबादी के हिसाब से नहीं बनाया जाता, तब तक उनकी प्रभावशीलता संदिग्ध रहेगी और उनका लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाएगा।

राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान संविधान की रक्षा और सम्मान पर जोर दिया और बताया कि भारत की विविध जनसंख्या के अनुसार नीतियों का निर्माण न केवल आवश्यक है, बल्कि यह लोकतंत्र की मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल है।

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