+

India-China Relation:चीन को लेकर जयशंकर का बड़ा बयान -LAC समझौते का मतलब यह नहीं कि सब कुछ सुलझ गया

India-China Relation: जयशंकर ने कहा कि सैनिकों के पीछे हटने से आगे की बातचीत के दरवाजे खुले हैं। उन्होंने इसका श्रेय सैनिकों को दिया, जिन्होंने मुश्किल हालातों

India-China Relation: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में चीन के साथ भारत के रिश्तों को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ गश्त को लेकर एक समझौता हुआ है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि भारत और चीन के बीच के सभी मुद्दे सुलझ गए हैं। पुणे में एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने बताया कि सैनिकों के पीछे हटने से अगले कदम पर विचार करने का मौका मिला है, लेकिन स्थिति अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है।

समझौते का श्रेय सेना को

जयशंकर ने इस समझौते का श्रेय भारतीय सेना को दिया, जिसने एलएसी पर "बहुत ही अकल्पनीय" परिस्थितियों में कार्य किया। जयशंकर ने सेना के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सैनिकों की मेहनत और कूटनीतिक कोशिशों से यह संभव हो पाया है कि दोनों देश समझौते के तहत कुछ क्षेत्रों में गश्त शुरू कर सकें। 21 अक्टूबर को हुए इस समझौते में देमचोक और डेपसांग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त को फिर से बहाल करने का निर्णय लिया गया है।

भरोसे को फिर से कायम करने की चुनौती

विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत और चीन के रिश्तों को सामान्य बनाने में अभी भी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि 2020 में गलवान घाटी में हुए भीषण संघर्ष के बाद से ही भारत और चीन के संबंधों में तनाव बना हुआ है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद इस पर सहमति बनी थी कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलकर आगे के कदमों पर विचार करेंगे। जयशंकर ने भरोसे को फिर से स्थापित करने और दोनों देशों के बीच एक सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में धैर्यपूर्वक काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

सीमा पर बेहतर बुनियादी ढांचे की दिशा में भारत के प्रयास

जयशंकर ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार किया है, जो कि पहले की सरकारों द्वारा उपेक्षित रहा था। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार सीमावर्ती इलाकों में अब पांच गुना अधिक संसाधन लगा रही है, जिससे सेना को प्रभावी तरीके से तैनात करने में मदद मिली है। यह बदलाव भारत के सीमा प्रबंधन की रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

भारत-चीन समझौते की दिशा में प्रगति

जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन पिछले चार वर्षों से एलएसी के पास जारी तनाव को खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं। गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संवाद और समाधान की प्रक्रिया जारी रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का पहला कदम सैनिकों की वापसी था, ताकि दोनों सेनाओं के बीच तनाव को कम किया जा सके और अनावश्यक संघर्ष की संभावनाओं को रोका जा सके।

पहले की तरह गश्त की व्यवस्था

जयशंकर ने कहा कि चीन और भारत के बीच गश्त को लेकर भी एक अहम सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर को हुई बैठक में देमचोक और डेपसांग के क्षेत्रों में पहले की तरह गश्त करने का निर्णय लिया गया। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे सीमा प्रबंधन को बेहतर तरीके से संभाला जा सकेगा। जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच गश्त को लेकर बातचीत में पिछले दो वर्षों से सुधार की कोशिशें चल रही थीं, और अंततः अब इस समझौते के साथ स्थिति में स्थिरता की ओर एक कदम बढ़ाया गया है।

आने वाले समय में संभावनाएं

भारत-चीन संबंधों में यह समझौता एक सकारात्मक संकेत है, जो दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में सहायक हो सकता है। हालांकि, विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पूरी तरह से सामान्य स्थिति बहाल करने में समय लगेगा और दोनों पक्षों को धैर्य के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।

facebook twitter