Rajasthan Politics: राजस्थान में आज कांग्रेस के 18 से ज्यादा नेताओं सहित करीब 35 लोगों ने भाजपा जॉइन की। जयपुर में प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने सभी को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई। इनमें कांग्रेस के वर्तमान 2 जिला प्रमुख सहित पूर्व सांसद और पूर्व विधायक शामिल हैं। इस बीच कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के गठबंधन की उम्मीदें और कम हो गई हैं। हालांकि, बेनीवाल के एक करीबी नेता उम्मेदाराम बेनीवाल ने आज कांग्रेस की सदस्यता ले ली है। उम्मेदाराम को पार्टी बाड़मेर से उम्मीदवार बना सकती है।
हमें शरणार्थी न समझें, कार्यकर्ता ही मानें - यादव
आज भाजपा जॉइन करने वाले नेताओं में कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ करण सिंह यादव भी हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की स्थिति निराशाजनक है। शीर्ष नेतृत्व नशे में है। प्रदेश नेतृत्व में फैसला लेने की शक्ति नहीं है। इसलिए हमने भाजपा जॉइन की है।
सभी लोग आज भगवा झंडे के लिए लालायित हैं। हम 400 पार सीट का सपना पूरा करेंगे और राजस्थान की सभी 25 सीटें जीतेंगे। हालांकि, मैं कहना चाहता हूं कि आप हमें कार्यकर्ता समझें, शरणार्थी नहीं समझें। मान सम्मान दें, मान सम्मान लें।
यादव के अलावार पूर्व विधायक परम नवदीप सिंह, पूर्व निर्दलीय विधायक सुरेश टांक, जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा, कांग्रेस से चूरू विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी प्रताप पूनिया, अलवर जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर, पूर्व विधायक पुखराज गर्ग शामिल हैं।
इन नेताओं ने जॉइन की भाजपा
उम्मेदाराम बेनीवाल ने आरएलपी से दिया इस्तीफा
बाड़मेर के बायतू से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके उम्मेदाराम बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आज पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा की मौजूदगी में कॉग्रेस जॉइन कर ली है। बेनीवाल के साथ कई और नेता भी आज कांग्रेस में शामिल हुए।
उम्मेदाराम बेनीवाल कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी से केवल 910 वोटों से हारे थे। उम्मेदाराम के कांग्रेस के साथ आने से बाड़मेर जिले के सियासी समीकरण बदलेंगे। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी का वे बाड़मेर में प्रमुख चेहरा थे और उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। कांग्रेस अब बाड़मेर से उम्मेदाराम बेनीवाल को लोकसभा का टिकट दे सकती है।
कई नेता कर रहे थे विरोध
आरएलपी के साथ गठबंधन को लेकर बाड़मेर में हरीश चौधरी और कई नेता विरोध कर रहे थे। बाड़मेर सीट के कारण ही गठबंधन को लेकर पेच फंस रहा था। कांग्रेस ने बाड़मेर में आरएलपी से गठबंधन करने की जगह उनके लोकसभा उम्मीदवार को ही कांग्रेस में शामिल कर लिया है। एक रणनीति के तहत ऐसा किया गया है।