Allu Arjun News: तेलुगु सुपरस्टार अल्लू अर्जुन के जीवन में विवादों का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। हाल ही में उनके हैदराबाद स्थित आवास पर टमाटर फेंकने और पथराव का मामला सामने आया है। इस घटना में उनके आवास पर लगे फूलों के गमले क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
OU-JAC गुट का विरोध प्रदर्शन
इस घटना में उस्मानिया विश्वविद्यालय संयुक्त कार्रवाई समिति (OU-JAC) से जुड़े होने का दावा करने वाले प्रदर्शनकारियों का नाम सामने आया है। इन लोगों ने पीड़ित महिला रेवती के परिवार के लिए न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने टमाटर फेंकने के साथ ही पथराव भी किया। हालांकि, पथराव की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
जुबली हिल्स पुलिस ने जानकारी दी कि प्रदर्शनकारी तख्तियां लेकर नारेबाजी कर रहे थे। हालांकि, अल्लू अर्जुन के परिवार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
‘पुष्पा-2’ स्क्रीनिंग में हादसा और गैर-इरादतन हत्या का केस
इस घटना की पृष्ठभूमि में एक बड़ा विवाद है। 4 दिसंबर को फिल्म ‘पुष्पा-2’ की स्क्रीनिंग के दौरान भगदड़ मचने से रेवती नामक महिला की मौत हो गई थी, जबकि उसका बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया। इस घटना के बाद अल्लू अर्जुन, थिएटर प्रबंधन, और सिक्योरिटी एजेंसी के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया था।
चिक्काडपल्ली पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 105 और 118(1) के तहत मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने 13 दिसंबर को अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया था।
जमानत और जेल से रिहाई
गिरफ्तारी के बाद अल्लू अर्जुन को लोकल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। हालांकि, शाम को तेलंगाना हाईकोर्ट ने 50,000 रुपये के निजी बॉन्ड पर उन्हें अंतरिम जमानत दी। इसके बाद अल्लू अर्जुन को चंचलगुडा सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया।
घटनाओं ने बढ़ाई चिंताएं
हाल की घटनाओं ने अल्लू अर्जुन की छवि पर गहरी चोट पहुंचाई है। फैंस के बीच उनकी लोकप्रियता के बावजूद इस विवाद ने उनके लिए कानूनी और सामाजिक चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले में क्या नया मोड़ आता है।
निष्कर्ष
अल्लू अर्जुन के आवास पर हुए हमले ने उनके जीवन में चल रहे विवादों को और गहरा कर दिया है। OU-JAC गुट का विरोध और ‘पुष्पा-2’ स्क्रीनिंग से जुड़े हादसे ने कई सवाल खड़े किए हैं। इन मामलों का कानूनी और सामाजिक हल निकालना जरूरी है, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।