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Fertilizer Subsidy Scheme:किसानों को 50% तक सस्ती खाद मिलेगी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह शुरू करेंगे ये योजना

Fertilizer Subsidy Scheme: किसानों को महंगाई की मार से बचाने और उनकी खेतीबाड़ी की लागत को कम करने के लिए केंद्र सरकार एक नई योजना शुरू करने जा रही है. इससे किसानों को 50% तक सस्ती खाद मिलेगी. केंद्रीय मंत्री अमित शाह जल्द ही इस योजना को लॉन्च करने वाले है

Fertilizer Subsidy Scheme: केंद्र सरकार किसानों को एक बड़ी सौगात देने जा रही है. सरकार जल्द ही नैनो-उवर्रकों पर सब्सिडी देने की एक योजना लेकर आ रही है. इससे किसानों के बीच नैनो-उर्वरकों को पॉपुलर बनाया जा सकेगा. वहीं किसानों की खेतीबाड़ी की लागत भी कम होगी. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह 6 जुलाई को इसकी शुरुआत करेंगे. केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह शनिवार को गुजरात के प्रवास पर होंगे. इस दौरान वह एक कार्यक्रम में इस खाद सब्सिडी योजना की शुरुआत करेंगे. इस योजना का मकसद चालू वित्त वर्ष में नैनो-उर्वरकों की खरीद के लिए किसानों को 50 प्रतिशत तक सहायता प्रदान करना है.

सहकारिता मंत्रालय की वर्षगांठ

आधिकारिक बयान के मुताबिक अमित शाह केंद्र सरकार की योजना ‘AGR-2’ की गुजरात के गांधीनगर से 6 जुलाई को शुरुआत करेंगे. वह यहां 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस से जुड़े कार्यक्रम में शामिल होंगे. इसी दिन केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय का तीसरा स्थापना दिवस भी है.

इस कार्यक्रम के दौरान अमित शाह योजना के तहत किसानों को सहायता राशि का पेमेंट करेंगे. वहीं नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड द्वारा बनाए गए ‘भारत ऑर्गेनिक गेहूं आटा’ को भी लॉन्च करेंगे. केंद्रीय मंत्री बनासकांठा और पंचमहल जिलों में सहकारिता से जुड़े अन्य कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे.

413 जिलों में किसानों को लाभ

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है. इसलिए सरकार भारत की सहकारी खाद कंपनियों द्वारा निर्मित नैनो-उर्वरक के प्रचार-प्रसार पर खासा ध्यान दे रही है. नैनो-उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए 100-दिन का एक्शन प्लान बनाया गया है. इसी के एक हिस्से के रूप में सरकार का लक्ष्य 413 जिलों में नैनो डीएपी (तरल) के 1,270 प्रदर्शन और 100 जिलों में नैनो यूरिया प्लस (तरल) के 200 परीक्षण पूरे करना है. इस पहल से पर्यावरण अनुकूल खेती के तरीकों को बढ़ावा मिलने और कृषि क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आने की उम्मीद है.

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