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Farmer Protest News:शंभू बॉर्डर पर डटे किसान, सोमवार को दिल्ली कूच पर बनाएंगे प्लान

Farmer Protest News: पंजाब-हरियाणा सिंधू बॉर्डर पर रविवार को किसानों ने फिर से दिल्ली की ओर मार्च करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की कार्रवाई के बाद मार्च स्थगित

Farmer Protest News: रविवार को पंजाब-हरियाणा की शंभू सीमा पर किसानों और पुलिस के बीच तनावपूर्ण टकराव के बाद किसान संगठनों ने दिल्ली कूच का कार्यक्रम एक दिन के लिए स्थगित कर दिया। आंदोलनकारी किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प में आंसू गैस, मिर्च स्प्रे और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया। किसान संगठनों ने दावा किया कि संघर्ष में 10 किसान घायल हुए, जिनमें से 6 गंभीर रूप से घायल थे।

घटना का क्रम

रविवार सुबह 101 किसानों का एक जत्था पैदल मार्च करते हुए दिल्ली की ओर बढ़ा। हालांकि, हरियाणा पुलिस ने उन्हें शंभू सीमा पर रोक दिया और मार्च के लिए अनुमति पत्र प्रस्तुत करने को कहा। इस मांग पर किसानों और पुलिस के बीच बहस शुरू हो गई।

जब कुछ किसानों ने बैरिकेडिंग हटाने की कोशिश की, तो पुलिस ने मिर्च स्प्रे और आंसू गैस का सहारा लिया। इसके बाद लगातार तीन घंटे तक आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारें जारी रहीं। किसानों ने इन हमलों के खाली गोले इकट्ठे कर मानवाधिकार एजेंसियों से शिकायत करने की बात कही।

किसान संगठनों का विरोध और पुलिस का बयान

किसानों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन उनकी आवाज दबाने का प्रयास कर रहे हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "सरकार ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। किसानों से बातचीत करने के बजाय उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए हिंसक तरीके अपनाए जा रहे हैं।"

दूसरी ओर, हरियाणा पुलिस ने अपनी सफाई में कहा कि किसानों ने कानून-व्यवस्था का उल्लंघन किया। डीएसपी वरिंदर कुमार ने बताया कि प्रदर्शनकारी लोहे की जाली हटाने की कोशिश कर रहे थे, जिसके चलते पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली कूच का अस्थायी स्थगन

घटनाओं के बाद, किसान संगठनों ने विरोध स्थगित करने और सोमवार को आगे की रणनीति तय करने का निर्णय लिया। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट में बॉर्डर खोलने से संबंधित सुनवाई के मद्देनजर लिया गया है।

आगे की योजना

किसान नेताओं ने घोषणा की कि 10 दिसंबर 2024 को दिल्ली कूच पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। वे केंद्र सरकार से अपनी मांगों पर बातचीत करने और आंदोलन के शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।

निष्कर्ष

किसानों और सरकार के बीच संवादहीनता और बढ़ते तनाव ने आंदोलन को और जटिल बना दिया है। यह घटनाक्रम न केवल किसानों के अधिकारों के प्रति चिंताएं उठाता है बल्कि सरकार और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े करता है। अब सबकी नजर सोमवार की सुनवाई और किसानों की आगे की रणनीति पर है।

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