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Rajasthan Politics:राजेंद्र राठौड़ को सरकार दे सकती हैं कैबिनेट मंत्री का दर्जा, नए साल में नियुक्ति संभव

Rajasthan Politics: राजस्थान भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को नए साल में नई जिम्मेदारी मिल सकती है. भजनलाल सरकार राजनीतिक

Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ, कुशल नेतृत्व और जनसमर्थन से एक अलग पहचान बनाई है। सात बार विधायक रह चुके राठौड़ को प्रदेशभर में लाखों समर्थकों का साथ मिला, लेकिन हालिया चुनौतियों ने उनके राजनीतिक करियर पर नए प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं।

विधानसभा और लोकसभा में दोहरी चुनौती

2023 के विधानसभा चुनाव में तारानगर सीट से हार का सामना करना और इसके बाद चूरू संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र झाझरिया को जीत नहीं दिला पाना, राठौड़ के लिए दोहरा झटका साबित हुआ। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि यह उनका राजनीतिक अवसान हो सकता है। लेकिन इन सबके बावजूद, राठौड़ ने हार नहीं मानी और प्रदेश में सक्रिय बने रहे।

भाजपा का विश्वास और संगठन में सक्रियता

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राजेंद्र राठौड़ के राजनीतिक अनुभव और संगठनात्मक कौशल को नजरअंदाज नहीं कर सकता। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उन्हें संगठन या सरकार में किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया जा सकता है। संभावनाएं हैं कि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए किसी बड़े पद पर बिठाया जाए।

सात बड़े पदों की संभावनाएं

राजनीतिक नियुक्तियों के संदर्भ में राठौड़ के नाम की चर्चा सात प्रमुख पदों के लिए की जा रही है। इन पदों पर उनकी नियुक्ति से पार्टी न केवल उनके अनुभव का लाभ उठा सकती है, बल्कि प्रदेश में भाजपा के जनाधार को भी मजबूत कर सकती है।

समर्थन और संभावनाएं

चूरू से विधायक हरलाल सहारण का कहना है कि राजेंद्र राठौड़ "36 कौम के नेता" हैं और यदि आलाकमान उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देता है, तो यह स्वागतयोग्य कदम होगा। वहीं, भाजपा नेता मधुसूदन राजपूरोहित ने संकेत दिए हैं कि राठौड़ को राज्यसभा में भी भेजे जाने की संभावना है।

गहलोत सरकार की रणनीति का अनुसरण?

राजनीतिक नियुक्तियों की बात करें, तो पिछली गहलोत सरकार ने हारने वाले वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी थीं। उसी तर्ज पर भाजपा भी राठौड़ को प्रदेश में बड़ी भूमिका दे सकती है।

राजनीतिक पुनर्जागरण की ओर

राजेंद्र राठौड़ का अनुभव और प्रदेश में उनकी गहरी पकड़ भाजपा के लिए एक मजबूत हथियार साबित हो सकती है। चाहे सत्ता हो या संगठन, राठौड़ का योगदान सरकार और पार्टी को नई ऊर्जा देने वाला होगा। राजनीतिक चुनौतियों से पार पाते हुए, राठौड़ ने यह साबित किया है कि असली नेता वही होता है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी भूमिका निभाने के लिए तत्पर रहे।

निष्कर्ष:
राजेंद्र राठौड़ ने यह दिखा दिया है कि हार भी उन्हें कमजोर नहीं कर सकती। उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता उनकी वापसी को लेकर उत्साहित हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा आलाकमान उनके अनुभव का उपयोग किस प्रकार करता है। क्या उन्हें सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, या संगठन में उनका योगदान और बढ़ेगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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