Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेजी से बढ़ रही हैं, जहां सभी राजनीतिक दलों के बीच सीटों और उम्मीदवारों को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस बार शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने मिलकर समाजवादी पार्टी (सपा) को काफी पीछे छोड़ दिया है, जिससे सपा के लिए चुनावी राह और कठिन हो गई है।
शिवसेना और कांग्रेस का अडिग रवैया
सपा के तीन घोषित सीटों पर भी शिवसेना और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इससे स्पष्ट है कि दोनों पार्टियों का इरादा सपा को चुनावी मैदान में कमजोर करना है। इसके अलावा, कांग्रेस के उम्मीदवार सचिन सावंत ने टिकट मिलने के बावजूद अंधेरी वेस्ट से चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। उन्होंने पार्टी से अनुरोध किया है कि उन्हें बांद्रा ईस्ट से टिकट दिया जाए।
सपा विधायक अबू आजमी की मुश्किलें
अबू आजमी, जो सपा के प्रमुख चेहरे माने जाते हैं, के लिए स्थिति और भी जटिल होती जा रही है। नवाब मलिक ने अबू आजमी के खिलाफ भिवंडी पूर्व सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह स्थिति अबू आजमी के लिए एक चुनौती बन गई है, क्योंकि उनके पास अब सीमित विकल्प हैं।
सीट बंटवारे की जटिलताएं
सपा ने 5 सीटें मांगी थीं, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने मिलकर अबू आजमी की मांग वाली तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। इन सीटों में धुले सिटी, भिवंडी पूर्व, और मालेगांव सेंट्रल शामिल हैं। इससे पहले, सपा ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी, लेकिन अब उन्हें धोखे का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस की टिकट घोषणा
कांग्रेस ने अमरावती मेलघाट से हेमंत चिमोते को और भिवंडी वेस्ट से दयानंद चोरघे को टिकट दिया है। ज्ञायक पाटनी, जो पहले बीजेपी में थे, अब एनसीपी (शरद गुट) में शामिल हो गए हैं। इन टिकटों के चलते एमवीए में खींचतान की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
चुनावी परिणाम की अनिश्चितताएं
सपा के लिए यह चुनावी मुकाबला चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, क्योंकि उन्हें अब तक 5 सीटें नहीं मिली हैं। अबू आजमी ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें 5 सीटें नहीं मिलती हैं, तो वे पूरी 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय ले सकते हैं। इससे स्पष्ट है कि सपा की स्थिति काफी अस्थिर है, और अबू आजमी को अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों की घोषणा ने राजनीतिक परिदृश्य को जटिल बना दिया है। शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सपा को कमजोर करने की रणनीति अपनाई है, जिससे अबू आजमी के लिए आगे की राह और कठिन होती जा रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ते हुए किस दिशा में जाती है और राजनीतिक दल अपने अपने रणनीतिक कदम कैसे उठाते हैं।