Jharkhand Politics: झारखंड में विधानसभा चुनावों के बाद हेमंत सोरेन नई सरकार के गठन की प्रक्रिया में जुट गए हैं। इस बार उनकी सरकार में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पिछली सरकार की तुलना में यह सरकार बदली हुई नजर आएगी, जिसका कारण मंत्रिमंडल में नए चेहरे शामिल होना और गठबंधन में नए दल का प्रवेश है।
मंत्रिमंडल का पुनर्गठन: बदलते समीकरण
झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत कुल 12 मंत्री हो सकते हैं। पिछली सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को 7, कांग्रेस को 4 और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को 1 मंत्री पद मिला था। लेकिन इस बार सीटों की संख्या में बदलाव और नए समीकरणों के कारण मंत्रिमंडल के कोटे में बदलाव की संभावना है।
संभावित बदलाव:
- पिछली बार चार विधायकों पर एक मंत्री पद का फार्मूला था। इस बार यह अनुपात पांच विधायकों पर एक मंत्री पद हो सकता है।
- कांग्रेस के पास 16 विधायक हैं, जिससे उसके मंत्रियों की संख्या घट सकती है।
- जेएमएम ने 34 सीटें जीती हैं, जिससे उसके कोटे में अधिक मंत्री शामिल हो सकते हैं।
- आरजेडी के चार विजयी उम्मीदवारों में नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना है।
नए चेहरे और प्रतिनिधित्व
हेमंत सोरेन सरकार के चार प्रमुख मंत्री (मिथिलेश ठाकुर, बैद्यनाथ राम, बेबी देवी और बन्ना गुप्ता) चुनाव हार गए हैं। इसके अलावा आरजेडी कोटे के मंत्री सत्यानंद भोगता ने चुनाव नहीं लड़ा। ऐसे में नए प्रतिनिधियों को मौका मिलने की उम्मीद है।
महिलाओं और युवाओं को प्राथमिकता
- पिछली सरकार में केवल दो महिला मंत्री थीं, लेकिन इस बार आठ महिला विधायकों के चुने जाने से उनकी भागीदारी बढ़ सकती है।
- युवा चेहरों को भी प्रमुखता मिलने की संभावना है, जिससे कैबिनेट में नई ऊर्जा का संचार होगा।
क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन
हेमंत सरकार में क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक प्रतिनिधित्व बनाए रखना अहम होगा।
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व:
- कोल्हान से तीन मंत्री, संथाल से तीन, पलामू से एक, और दक्षिणी व उत्तरी छोटानागपुर से चार मंत्री रखने की योजना है।
- सामाजिक संतुलन:
- जेएमएम ने पिछली बार तीन आदिवासी, एक दलित, एक सवर्ण और एक ओबीसी मंत्री बनाए थे।
- कांग्रेस ने एक अल्पसंख्यक, एक आदिवासी, एक सवर्ण और एक ओबीसी को प्रतिनिधित्व दिया था।
डिप्टी सीएम की मांग खारिज
कांग्रेस की डिप्टी सीएम पद की मांग को हेमंत सोरेन ने खारिज कर दिया है। इसके बजाय कांग्रेस को डिप्टी स्पीकर का पद दिया जा सकता है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि महत्वपूर्ण विभाग (जैसे वित्त, स्वास्थ्य, कृषि, और ग्रामीण विकास) इस बार किस पार्टी को मिलते हैं।
नई चुनौतियां और संभावनाएं
हेमंत सोरेन सरकार के सामने न केवल गठबंधन के भीतर संतुलन बनाने की चुनौती है, बल्कि राज्य के विकास के लिए नई प्राथमिकताओं को तय करने का दबाव भी है। महिलाओं और युवाओं को बढ़ावा देना, क्षेत्रीय समीकरणों को संतुलित रखना और जनजातीय व वंचित वर्गों का सशक्तिकरण उनकी सरकार के लिए प्राथमिकता होगी।
इस बार की सरकार में बदलाव और नई ऊर्जा की उम्मीदें झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य को एक नई दिशा दे सकती हैं।