China-Russia News: रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने रविवार को संयुक्त राज्य अमेरिका पर ताइवान का उपयोग करके एशिया में गंभीर संकट उत्पन्न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह बयान रूसी समाचार एजेंसी टीएएसएस को दिया और चीन के "वन चाइना" सिद्धांत पर मास्को के समर्थन को दोहराया। रुडेंको ने अमेरिका पर ताइवान को हथियारों की आपूर्ति बढ़ाने और सैन्य-राजनीतिक संबंध मजबूत करने का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने "यथास्थिति" के उल्लंघन के रूप में वर्णित किया।
रूस का आरोप: अमेरिका का स्वार्थी एजेंडा
रुडेंको ने कहा कि अमेरिका का क्षेत्रीय मामलों में हस्तक्षेप, विशेष रूप से ताइवान के संदर्भ में, जानबूझकर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) को भड़काने के लिए है। उन्होंने इसे एशिया में संकट उत्पन्न करने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा बताया। रूस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ा हुआ है, और अमेरिका इस द्वीप के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय समर्थक और हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है।
अमेरिका-ताइवान संबंधों पर नजर
ताइवान, जिसे चीन अपना क्षेत्र मानता है, एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के तहत काम करता है। हालांकि, ताइवान की सरकार ने चीन के इस दावे को खारिज किया है। अमेरिका, जिसने ताइवान को औपचारिक राजनयिक मान्यता नहीं दी है, उसके सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सहयोगी के रूप में उभरा है। सितंबर 2023 में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ताइवान को 567 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देने को मंजूरी दी, जिससे ताइवान की रक्षा क्षमता में वृद्धि हुई।
चीन और रूस की प्रतिक्रिया
चीन और रूस ने अमेरिका की इस नीति की कड़ी आलोचना की है। रूस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह एशिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के खिलाफ चीन के साथ खड़ा है। चीन, जो ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है, ताइवान को हथियारों की आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय समर्थन को अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है।
रूस और चीन के बीच "कोई सीमा नहीं" साझेदारी की घोषणा फरवरी 2022 में हुई थी, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। यह साझेदारी अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा प्रस्तुत करती है। इस साल मई में, दोनों देशों ने "नए युग" की साझेदारी का वादा किया, जिसे अमेरिका ने शीत युद्ध जैसे आक्रामक रणनीति के रूप में देखा।
एशिया में तनाव: वैश्विक प्रभाव
ताइवान विवाद ने एशिया में भू-राजनीतिक तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियारों की आपूर्ति और क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने से चीन और अमेरिका के बीच तनाव गहरा हो गया है। इस तनाव का असर न केवल एशिया बल्कि वैश्विक स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता पर पड़ रहा है।
रूस और चीन की साझेदारी ने इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को चुनौती दी है। ताइवान के मसले पर रूस का चीन के साथ खड़ा होना एशिया में बदलती रणनीतिक स्थिति का संकेत देता है। अमेरिका की नीति को रूस और चीन ने "अराजकता फैलाने" वाला कदम बताया है, जो एशिया में एक नए शीत युद्ध का संकेत हो सकता है।
निष्कर्ष
ताइवान का मुद्दा एशिया में एक प्रमुख संघर्ष बिंदु बन गया है, जहां अमेरिका, चीन, और रूस के हित आपस में टकरा रहे हैं। अमेरिका के ताइवान को समर्थन से जहां चीन और रूस आक्रामक रुख अपना रहे हैं, वहीं यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। इस जटिल परिस्थिति में कूटनीति और संवाद ही ऐसे माध्यम हैं, जो बढ़ते तनाव को कम कर सकते हैं।