Reserve Bank of India: साल 2024 के दौरान महंगाई में अस्थायी गिरावट के बावजूद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो रेट 6.50 फीसदी पर स्थिर रहने के चलते फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं। इसका परिणाम यह हुआ कि बैंकों में कुल डिपॉजिट में एफडी की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। सितंबर 2024 तक, कुल बैंक डिपॉजिट में एफडी का हिस्सा बढ़कर 61.4 फीसदी हो गया, जो एक साल पहले 59.8 फीसदी था।
आकर्षक ब्याज दरों का प्रभाव
आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ऊंची ब्याज दरों के चलते फिक्स्ड डिपॉजिट में बड़ी मात्रा में धनराशि स्थानांतरित हुई है। 7 फीसदी या उससे अधिक ब्याज दर वाली एफडी का हिस्सा सितंबर 2024 तक 68.8 फीसदी हो गया, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 54.7 फीसदी था। यह वृद्धि बैंकों द्वारा आकर्षक ब्याज दरों की पेशकश और महंगाई के दौर में बचत को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति को दर्शाती है।
क्षेत्रीय और सामाजिक श्रेणियों में डिपॉजिट का वितरण
ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि बैंक डिपॉजिट ग्रोथ 2024 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 11.7 फीसदी रही।
महानगरों का योगदान: कुल जमा में 66.5 फीसदी योगदान महानगर स्थित शाखाओं का था, जिनकी कुल जमा में हिस्सेदारी 54.7 फीसदी रही।
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों का योगदान: सभी श्रेणियों में दहाई अंक की वृद्धि देखी गई।
महिला जमाकर्ताओं की भागीदारी: व्यक्तिगत जमा में महिलाओं का हिस्सा लगभग 40 फीसदी था।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में वृद्धि
पब्लिक सेक्टर बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ सितंबर 2024 में 9 फीसदी रही, जबकि निजी बैंकों में यह वृद्धि 15 फीसदी के आसपास थी। वरिष्ठ नागरिकों की जमा राशि में भी इजाफा हुआ, जो सितंबर 2024 में बढ़कर 20.1 फीसदी हो गई।
कर्ज वृद्धि में कमी
जहां एफडी और डिपॉजिट में वृद्धि दर्ज की गई, वहीं बैंक कर्ज वृद्धि में कमी देखी गई।
सितंबर 2024 में बैंक कर्ज वृद्धि घटकर 12.6 फीसदी रह गई, जो मार्च 2024 में 15.3 फीसदी थी।
महानगर स्थित शाखाओं का कर्ज में हिस्सा 60.6 फीसदी था, लेकिन इन शाखाओं ने केवल 11.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
ऋण वितरण का क्षेत्रवार प्रदर्शन
कृषि और उद्योग: कृषि कर्ज में 13.2 फीसदी और उद्योग कर्ज में 10.4 फीसदी की वृद्धि हुई।
आवास और व्यक्तिगत ऋण: आवास कर्ज 13.2 फीसदी और व्यक्तिगत (गैर-आवास) ऋण 17.5 फीसदी बढ़ा।
महिला उधारकर्ताओं की भागीदारी: महिला उधारकर्ताओं का व्यक्तिगत ऋण में हिस्सा 23.6 फीसदी हो गया।
आरबीआई की रणनीति का निष्कर्ष
आरबीआई की कड़ी मौद्रिक नीति ने न केवल महंगाई नियंत्रण में मदद की बल्कि बैंकों की जमा योजनाओं को भी मजबूती दी। बेहतर ब्याज दरों ने लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित विकल्पों की ओर आकर्षित किया। इससे न केवल बचत में बढ़ोतरी हुई, बल्कि बैंकिंग क्षेत्र में स्थिरता भी आई।