Share Market News: झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आ गए हैं, और दोनों राज्यों में मौजूदा सरकारों की सत्ता में वापसी हुई है। यह राजनीतिक स्थिरता बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है। विश्लेषकों का मानना है कि इन परिणामों से दलाल स्ट्रीट पर नई हलचल देखने को मिल सकती है। साथ ही, वैश्विक रुझान और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियां भी इस सप्ताह बाजार की दिशा तय करेंगी।
पिछले 5 महीनों का रिकॉर्ड टूटा
पिछले शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी ने पांच महीनों का एक दिन का सबसे अधिक लाभ दर्ज किया। बीएसई सेंसेक्स 1,961.32 अंकों की छलांग लगाकर 79,117.11 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 557.35 अंकों की बढ़त के साथ 23,907.25 पर बंद हुआ।
चुनाव नतीजों का बाजार पर असर
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा कि महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी परिणाम बाजार की दिशा को प्रभावित करने वाले अहम कारक हैं। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन की स्पष्ट जीत ने निवेशकों के विश्वास को मजबूत किया है। हालांकि, वैश्विक जोखिम, जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष और बढ़ती तेल की कीमतें, बाजार के लिए चुनौती बने रह सकते हैं।
वैश्विक कारकों का दबाव
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि ने भारतीय रुपए पर दबाव बढ़ाया है। इसके चलते एफआईआई की ओर से भारी बिकवाली हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार की दिशा तय करने में एफआईआई का प्रवाह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
निवेशकों के लिए प्रमुख बिंदु
विश्लेषकों के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों और रुपए-डॉलर के उतार-चढ़ाव पर निवेशकों को नजर रखनी होगी। साथ ही, अमेरिका के जीडीपी आंकड़े और फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का विवरण बाजार के मूड को निर्धारित करेगा।
चुनावी नतीजों से सकारात्मक संकेत
मास्टर कैपिटल सर्विसेज लि. की निदेशक पल्का अरोड़ा चोपड़ा के मुताबिक, महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे विशेष रूप से ढांचागत विकास से जुड़े क्षेत्रों को गति देंगे। रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजित मिश्रा ने कहा कि व्यापक आर्थिक संकेतक, जैसे जीडीपी आंकड़े, और एफआईआई का प्रवाह बाजार के लिए निर्णायक रहेंगे।
निष्कर्ष
झारखंड और महाराष्ट्र के नतीजे बाजार के लिए स्थिरता का संदेश लेकर आए हैं। हालांकि, वैश्विक कारकों और एफआईआई गतिविधियों पर निर्भरता बनी रहेगी। इन परिस्थितियों में सतर्कता और सूझबूझ से निवेश करने वाले निवेशकों को लंबे समय में लाभ मिल सकता है।