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India EFTA trade:भारत में जल्द 8 लाख करोड़ का आ सकता है निवेश, EFTA ट्रेड पर है देश की नजर

India EFTA trade: इस यात्रा से भारत और ईएफटीए देशों के बीच व्यापार संबंधों को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है, जिससे न केवल आर्थिक विकास को बल मिलेगा, बल्कि दोनों

India EFTA trade: भारत तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने के लिए प्रयासरत है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के तहत, भारत को वैश्विक निवेश का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी में यह बयान दिया कि आज के समय में भारत निवेश के लिए सबसे बेहतरीन जगह है। इसी कड़ी में, भारत के कॉमर्स सचिव सुनील बर्थवाल ने नॉर्वे का दौरा किया और व्यापार एवं आर्थिक भागीदारी समझौते (टीईपीए) को गति देने के लिए ठोस कदम उठाए।

टीईपीए समझौता: उद्देश्य और महत्व

सुनील बर्थवाल का नॉर्वे दौरा खास तौर पर यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से था। ईएफटीए में आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। भारत और ईएफटीए देशों के बीच टीईपीए समझौते पर मार्च 2024 में हस्ताक्षर हुए थे। यह समझौता भारतीय उत्पादों को ईएफटीए के 99.6% बाजार में प्रवेश प्रदान करता है, जिससे भारतीय उद्योगों के लिए नए अवसर खुलते हैं। इसके अलावा, यह समझौता गैर-कृषि और प्रोसेस्ड एग्रीकल्चर वस्तुओं पर टैरिफ रियायतें देता है।

बदले में, भारत ने अपनी 82.7% टैरिफ लाइनों को ईएफटीए देशों के लिए खोलने की सहमति दी है, जो एक महत्वपूर्ण व्यापारिक कदम है। इस समझौते के माध्यम से भारतीय उत्पादों के लिए बड़ी बाजारों तक पहुंच बनाने की दिशा में एक अहम कड़ी जोड़ी गई है।

टीईपीए का जल्द कार्यान्वयन

नॉर्वे में अपने दौरे के दौरान, बर्थवाल ने नॉर्वे के व्यापार, उद्योग और मत्स्य पालन मंत्रालय के राज्य सचिव टॉमस नॉरवोल सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इन बैठकों में भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने और टीईपीए को जल्द लागू करने पर विचार विमर्श हुआ। बर्थवाल ने नॉर्वे की संसद के सदस्यों से भी मुलाकात कर इस समझौते के लाभों को रेखांकित किया और भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से बढ़ती स्थिति के बारे में उन्हें बताया। उन्होंने बताया कि भारत अगले 3-4 वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है।

आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा नया बल

टीईपीए समझौता भारत के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाएगा। इस समझौते के जरिए बुनियादी ढांचा, मैन्यूफैक्चरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, फूड प्रोसेसिंग, परिवहन, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश आकर्षित किया जाएगा। मंत्रालय का मानना है कि इस समझौते के जरिए भारत में अगले 15 वर्षों में लाखों नौकरियां पैदा होंगी और व्यावसायिक एवं तकनीकी प्रशिक्षण में सुधार होगा।

इसके अलावा, यह समझौता भारत को नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य विज्ञान और अनुसंधान में ग्लोबल टेक्नोलॉजीज तक पहुंच प्रदान करेगा, जो देश की समग्र विकास प्रक्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

समापन

भारत के लिए यह समझौता एक नए आर्थिक युग की शुरुआत है, जो देश को वैश्विक निवेश का केंद्र बनाने के साथ-साथ उसकी आर्थिक स्थिति को और मजबूत करेगा। टीईपीए समझौते के माध्यम से न केवल व्यापारिक संबंधों को बेहतर किया जाएगा, बल्कि भारत की स्वदेशी उत्पादों और सेवाओं के लिए वैश्विक बाजार में स्थान बनाने में भी मदद मिलेगी। यह समझौता देश के विकास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में मदद करेगा।

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