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Share Market News:शेयर बाजार की गिरावट का म्यूचूअल फंड्स पर दिखा असर, तबाह हुए ये सेक्टर

Share Market News: शेयर बाजार की गिरावट का असर म्यूचुअल फंड पर भी देखने को मिला है. म्यूचुअल फंड का ऐसा कोई सेक्टर नहीं है, जिसमें बीते डेढ़ महीने में 0.82%

Share Market News: पिछले डेढ़ महीने का समय भारतीय शेयर बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। बाजार में लगातार गिरावट ने निवेशकों के आत्मविश्वास को झकझोर दिया है और भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों ही अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से काफी नीचे आ चुके हैं।

सेंसेक्स और निफ्टी की गिरावट

सेंसेक्स अपने 85,922 के ऐतिहासिक उच्च स्तर से गिरकर 19 नवंबर को 77,578.38 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी ने अपने 26,166 के उच्चतम स्तर से गिरकर 23,518.50 का स्तर छू लिया। इस गिरावट का नतीजा यह हुआ कि निवेशकों को लगभग 48.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है।

म्यूचुअल फंड्स पर असर

शेयर बाजार की गिरावट का असर म्यूचुअल फंड्स पर भी साफ दिखा। बीते डेढ़ महीने में लगभग हर सेक्टर के म्यूचुअल फंड्स ने नेगेटिव रिटर्न दिया है।

  • एनर्जी और पावर फंड्स: 8.50% तक की गिरावट।
  • पीएसयू फंड्स: 8.49% का नेगेटिव रिटर्न।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स: 8.29% की गिरावट।
  • मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स: क्रमशः 7.73% और 7.07% का नेगेटिव रिटर्न।
  • मल्टीकैप फंड्स: 7% की गिरावट।

ऑटो और कंजप्शन फंड्स को सबसे ज्यादा नुकसान

शेयर बाजार की इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर ऑटो सेक्टर फंड्स पर पड़ा, जिसमें 12.42% का नेगेटिव रिटर्न देखने को मिला। इसके बाद कंजप्शन फंड्स को 9.18% और टेक्नोलॉजी फंड्स को 3.45% की गिरावट का सामना करना पड़ा।

बाजार में कुछ राहत

लगातार सात दिनों की गिरावट के बाद 19 नवंबर को शेयर बाजार ने थोड़ा संभलने का संकेत दिया। सेंसेक्स में 239.38 अंकों की बढ़त हुई और यह 77,578.38 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी ने 64.70 अंकों की बढ़त के साथ 23,518.50 का स्तर छुआ। हालांकि यह राहत सीमित रही, और निवेशकों की चिंता अभी भी बनी हुई है।

गिरावट के कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हो सकते हैं:

  1. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: अमेरिका और यूरोप में बढ़ती मंदी की आशंका ने निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
  2. मुद्रास्फीति और ब्याज दरें: बढ़ती ब्याज दरों और महंगाई के दबाव ने शेयर बाजार पर दबाव बनाया।
  3. विदेशी निवेश में गिरावट: एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) लगातार बाजार से पैसे निकाल रहे हैं।

निवेशकों के लिए सलाह

इस चुनौतीपूर्ण समय में निवेशकों को धैर्य रखने और लंबी अवधि के नजरिए से बाजार में बने रहने की सलाह दी जाती है। म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश जारी रखना बेहतर रणनीति हो सकती है।

निष्कर्ष

हालांकि शेयर बाजार में गिरावट ने निवेशकों को झटका दिया है, लेकिन बाजार की दीर्घकालिक प्रवृत्ति सकारात्मक बनी हुई है। इस कठिन समय में समझदारी से किए गए निवेश भविष्य में अच्छे रिटर्न दे सकते हैं। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है, और भविष्य में भारतीय शेयर बाजार फिर से मजबूती दिखा सकता है।

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