PoK Road Accident: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है। यात्रियों से भरी एक बस सिंधु नदी में गिर गई, जिसमें अब तक 16 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, बस में सवार सभी लोग एक शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन आशंका है कि मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
कैसे हुआ हादसा?
‘डॉन’ अखबार के मुताबिक, यह दुर्घटना उस समय हुई जब एक बस एस्टोर से पंजाब के चकवाल जिले की ओर जा रही थी। बस तेलची पुल के पास अनियंत्रित होकर सिंधु नदी में जा गिरी। दुर्घटना के बाद प्रशासन ने मौके पर राहत दल भेजा और नदी से 16 शव बरामद किए गए हैं। इसके अतिरिक्त एक महिला घायल अवस्था में मिली है, जिसे उपचार के लिए पास के अस्पताल में भेजा गया है।
अन्य यात्रियों की तलाश जारी
स्थानीय पुलिस ने बताया कि बस में अधिकांश यात्री एक ही शादी समारोह के लिए जा रहे थे। गिलगित-बाल्टिस्तान के पहाड़ी क्षेत्र में हुई इस दर्दनाक दुर्घटना के बाद अन्य यात्रियों की तलाश के लिए नदी में खोज अभियान जारी है। इलाके की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राहत कार्य में बाधाएं आ रही हैं, फिर भी टीम अपनी पूरी क्षमता के साथ खोज और बचाव में जुटी हुई है।
बलूचिस्तान में हाल ही में हुए धमाके का दर्दनाक स्मरण
यह दुर्घटना पाकिस्तान के अन्य प्रांत बलूचिस्तान में पिछले हफ्ते हुए आतंकवादी हमले की याद दिलाती है, जब क्वेटा में एक आत्मघाती धमाके में 26 लोगों की मौत हो गई थी और 62 लोग घायल हो गए थे। बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। हमले के बाद सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान में रेल सेवाओं को चार दिनों के लिए स्थगित कर दिया। यह हादसा बलूचिस्तान की अस्थिरता और वहां की बढ़ती हिंसा को दर्शाता है, जिससे वहां के नागरिक लगातार प्रभावित हो रहे हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान में सुरक्षा एवं राहत प्रयासों की आवश्यकता
गिलगित-बाल्टिस्तान में हुए इस हालिया हादसे और बलूचिस्तान में हुए आत्मघाती हमले ने पाकिस्तान में यात्री सुरक्षा, परिवहन की चुनौतियों और आतंकवादी हमलों के बीच राहत कार्यों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा की कमी के कारण यात्री अक्सर जोखिम भरी यात्रा करने को मजबूर होते हैं।
सरकार से अपेक्षा है कि वह परिवहन सुविधाओं को सुरक्षित बनाने और राहत कार्यों को अधिक सुचारू बनाने के लिए मजबूत कदम उठाएगी।