Pager History:किसने चलाया सबसे पहले 'पेजर', कैसे गर्दिश में डूबा इसका सितारा?

09:26 PM Sep 18, 2024 | zoomnews.in

Pager History: हाल ही में लेबनान और सीरिया में हुए सिलसिलेवार पेजर धमाकों ने हिजबुल्लाह को काफी नुकसान पहुंचाया है। इन धमाकों में कम से कम 12 लोग मारे गए और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें कई की हालत गंभीर है। सीरिया में भी 7 लोगों की जान गई। हिजबुल्लाह ने इन हमलों के पीछे इजराइल का हाथ होने का दावा किया है, और पेजर अब चर्चा का मुख्य विषय बन गया है।

पेजर: एक परिचय

भारत में कई लोग पेजर से अनजान हैं, लेकिन लेबनान में हिजबुल्लाह इसे बड़े पैमाने पर उपयोग करता है। पेजर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिससे लोग एक-दूसरे को शॉर्ट मैसेज भेज सकते हैं। इसकी शुरुआत 1921 में हुई, जब डेट्रॉइट पुलिस ने इसे अपने कार्यों के लिए अपनाया।

पेजर का इतिहास

पेजर का आविष्कार 1949 में इरविंग "अल" ग्रॉस ने किया। इसके बाद, 1950 में न्यूयॉर्क के सिटी जुइश हॉस्पिटल ने इसे अपनाया। 1959 में मोटोरोला ने "पेजर" शब्द का इस्तेमाल शुरू किया और इस डिवाइस को वैश्विक पहचान दिलाई। मोटोरोला ने कई नवाचार किए, जैसे टोन-ओनली पेजर, जो सीमित जानकारी प्रदान करता था।

पेजर की लोकप्रियता में कमी

1970 और 1980 के दशक में पेजर का चलन बढ़ा, लेकिन 1990 के दशक में मोबाइल फोन की बढ़ती लोकप्रियता ने पेजर के उपयोग में कमी ला दी। मोबाइल फोन के बेहतर फीचर्स और किफायती दाम ने लोगों को पेजर से दूर कर दिया।

हिजबुल्लाह का पेजर का चयन

हिजबुल्लाह ने पेजर को इसलिए चुना क्योंकि उन्हें डर था कि इजराइल मोबाइल फोन की निगरानी कर सकता है। संगठन के नेता हसन नसरल्लाह ने अपने सदस्यों को पेजर का उपयोग करने की सलाह दी।

पेजर धमाकों का घटनाक्रम

लेबनान में हुए हालिया धमाकों में यह दावा किया गया है कि इजराइल ने पेजर में विस्फोटक लगाकर इसे एक हमले का उपकरण बनाया। धमाकों के पीछे ताइवानी कंपनी गोल्ड अपोलो का नाम सामने आया है, जिसने पेजर की आपूर्ति की थी। रिपोर्टों के अनुसार, इजराइल ने इन पेजरों को डिलीवरी से पहले ही हैक कर लिया था।

वर्तमान उपयोग

हालांकि पेजर का उपयोग कम हुआ है, लेकिन यह अभी भी कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है, विशेषकर अमेरिका और ब्रिटेन के अस्पतालों और इमरजेंसी सेवाओं में। हिजबुल्लाह के अलावा, पेजर का उपयोग कुछ विशेष कंपनियों और संगठनों द्वारा भी किया जा रहा है।

इस घटना ने पेजर के महत्व को फिर से उजागर किया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां संचार की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। पेजर के धमाकों ने न केवल हिजबुल्लाह को झटका दिया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि तकनीक कैसे सुरक्षा और आतंकवाद के बीच की रेखा को धुंधला कर सकती है।