India-Britain Relation: ब्रिटेन में लेबर पार्टी की नई सरकार गठन के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का रास्ता साफ हो गया है। सरकार बनने के पहले महीने ही ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने अपनी भारत यात्रा पर कहा कि उनकी सरकार भारत के साथ जल्द से जल्द मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करना चाहता है। ब्रिटिश विदेश मंत्री ने कहा है कि 'लेबर पार्टी इस समझौते के लिए तैयार है।' ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दोनों देश इस डील को इस साल के अंत तक यानी 31 दिसंबर, 2024 से पहले पूरा कर लेंगे। इस झमझौते के बाद दोनों देश के बीच क्या बदल जाएगा? दोनों देशों के काराबारियों की क्या रहात मिलेगी? आम लोगों को कौन-कौन सी चीजें सस्ती मिलेंगी। आइए, इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की A टू Z बातें जानते हैं।
जल्द फिर शुरू होगी एफटीए वार्ता
ब्रिटेन में लेबर पार्टी की नवनिर्वाचित सरकार ने कहा है कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने के लिए वार्ता दल जल्द ही फिर से बातचीत की मेज पर बैठेंगे। ब्रिटेन के वाणिज्य मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार सौदों के लिए अपने मंत्रालय के नजरिये को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले समझौतों को लागू करने के लिए बातचीत के केंद्र में आर्थिक वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि ये समझौते ब्रिटेन के कारोबार क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच और नौकरियों को बढ़ावा देने में मदद करेंगे। ब्रिटेन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वह एक व्यापार रणनीति प्रकाशित करने की योजना भी बना रहा है जो सरकार की औद्योगिक रणनीति के साथ जुड़ी होगी।
विदेश मंत्री डेविड लैमी ने क्या कहा?
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, भारत 21वीं सदी की उभरती हुई महाशक्ति है। 140 करोड़ की आबादी के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा देश है और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।'' उन्होंने कहा, हमारी मुक्त व्यापार समझौता वार्ता हमारी महत्वाकांक्षाओं की अधिकतम सीमा नहीं बल्कि आधार है, जो हमारी साझा क्षमता को विस्तृत करने और बेंगलुरु से बर्मिंघम तक विकास करने की हमारी इच्छा से संबंधित है। ब्रिटेन सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि लैमी ब्रिटेन-भारत साझेदारी को नए सिरे से आगे बढ़ाने पर जोर देंगे, जिसमें वह मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत करेंगे, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। बयान में कहा गया है कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करना ब्रिटेन की प्रतिबद्धताओं में से एक है।
ब्रिटेन इस डील को क्यों महत्वपूर्ण मान रहा?
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भारी मंदी से जूझ रही है। इससे निकालने का प्रयास नई सरकार करेगी। रेनॉल्ड्स के अनुसार, घरेलू स्तर पर मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए विदेश व्यापार को बढ़ावा देना जरूरी है और इसलिए अपने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने में कोई देरी नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा, खाड़ी से लेकर भारत तक, हमारा व्यापार कार्यक्रम महत्वाकांक्षी है और अपने व्यवसायों को दुनिया की कुछ सबसे रोमांचक अर्थव्यवस्थाओं तक पहुंच देने के लिए ब्रिटेन की ताकत का इस्तेमाल करता है। रेनॉल्ड्स ने कहा कि उनके वार्ता दल जल्द से जल्द बातचीत शुरू करेंगे।
13 दौर की वार्ता हो चुकी
भारत और ब्रिटेन ने जनवरी, 2022 में एफटीए पर बातचीत शुरू की थी। दोनों देशों के बीच 13 दौर की वार्ता हो चुकी है। चुनाव के कारण 14वें दौर की वार्ता रुक गई थी। अब यह जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
भारत-यूके के बीच एफटीए होने से क्या लाभ मिलेंगे?
टैरिफ में कटौती: भारत फैशन, होमवेयर, फर्नीचर, इलेक्ट्रिकल और सामान्य औद्योगिक मशीनरी के लिए कम टैरिफ की मांग कर रहा है।
आयात शुल्क में छूट: कपड़ा, परिधान और रत्न और आभूषण में एसएमई को पहले यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के व्यापार समझौतों के कारण आयात शुल्क को पूरी तरह से हटाने से लाभ हुआ है।
डबल टैक्सेशन से राहत: भारत और ब्रिटेन को डबल टैक्सेशन से राहत मिलेगी। इससे दोनों देशों के कारोबारियों को फायदा मिलेगा।
फंड जुटाना आसान होगा: एफटीए के तहत, यूके भारतीय कारोबारियों फंडिंग और विशेषज्ञता तक पहुंच भी प्रदान करेगी। भारतीय बिजनेस लिस्टिंग और बॉन्ड जारी करने के माध्यम से लंदन के बाजार से भी धन जुटा पाएंगे।
कई चीजें सस्ती हो जाएंगी: एफटीए होने से भारत कारों, स्कॉच व्हिस्की और वाइन पर टैरिफ में कटौती करेगा। इससे ये चीजें यहां सस्ती मिलेगी।
द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा: एफटीए के जल्द पूरा होने से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 17.5 अरब डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 20.36 अरब डॉलर हो गया। एफटीए होने से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
भारत को क्या फायदा मिलेगा?
भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे परिधान और रत्न एवं आभूषणों में पिछले पांच वर्षों में बाजार हिस्सेदारी में भारी गिरावट देखी गई है। भारतीय कपड़ा निर्यात ब्रिटेन में 10% तक के टैरिफ का सामना कर रहा है। एफटीए होने से भारत को बांग्लादेश जैसी प्रतिस्पर्धा के बराबर ला सकता है, और कपड़ा निर्यात बढ़ सकता है।
क्या होता है एफटीए?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) एक ऐसा कारोबारी समझौता है, जिसके तहत द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है। इसके लिए टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव या कमी लाई जाती है। यह दो या दो से अधिक देशों और समूहों के बीच हो सकता है। भारत ने सबसे पहले पूर्वी एशिया के देशों के साथ यह समझौता किया था।