Kolkata Rape-Murder Case:बंगाल के एंटी रेप बिल में और निर्भया के बाद बने रेप कानून क्या है अंतर

06:25 PM Sep 03, 2024 | zoomnews.in

Kolkata Rape-Murder Case: आज पश्चिम बंगाल की विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी मिल गई है। विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्तुत "अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक 2024" को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक को एक ऐतिहासिक कदम करार दिया है, जो राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है।

विधेयक की पृष्ठभूमि

यह विधेयक पश्चिम बंगाल के आरजी कार मेडिकल कॉलेज में हुई दुखद घटना के बाद प्रस्तुत किया गया, जहां एक महिला डॉक्टर का बलात्कार और हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और इसके विरोध में व्यापक प्रदर्शन हुए। ममता बनर्जी की सरकार ने इस विधेयक के माध्यम से बलात्कार के खिलाफ अपनी ठान ली है और इसे राज्य के कानून में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में पेश किया है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

1. नाबालिगों से बलात्कार पर कठोर सजा: भारतीय दंड संहिता के तहत, नाबालिगों से बलात्कार के मामलों में सजा के विभिन्न स्तर हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल का नया विधेयक इन सभी मामलों में एक समान सजा का प्रावधान करता है, जो उम्रकैद और फांसी तक हो सकती है। इससे कानून की सुसंगतता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

2. बलात्कार के बाद हत्या या गंभीर चोट पर सजा: भारतीय दंड संहिता बलात्कार के बाद पीड़िता की मौत या कोमा जैसी स्थिति में 20 साल की सजा का प्रावधान करती है। नए विधेयक के तहत, ऐसी स्थिति में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है, और बलात्कार-सामूहिक बलात्कार के मामलों में पैरोल के बिना उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है।

3. तेजी से न्याय: पश्चिम बंगाल का नया कानून रेप के मामलों में जांच की डेडलाइन को घटाकर 21 दिन कर देता है। इसके अतिरिक्त, 15 दिन और बढ़ाने का प्रावधान है, लेकिन इसके लिए लिखित में कारण देना होगा। इस प्रकार, कुल मिलाकर 36 दिन के भीतर मामले के निपटारे की बात की गई है।

4. पीड़िता की पहचान उजागर करने पर कठोर दंड: नए विधेयक में रेप मामलों में पीड़िता की पहचान उजागर करने और कोर्ट की कार्यवाही छापने पर दंड को बढ़ा दिया गया है। अब दोषियों को 3 से 5 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है, जो भारतीय दंड संहिता के प्रावधान से अधिक कठोर है।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

विपक्ष के नेता शुभेंदू अधिकारी ने विधेयक का समर्थन किया और इसे शीघ्र लागू करने की मांग की। हालांकि, ममता बनर्जी ने भाजपा के विधायकों से अपील की कि वे विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर की मांग भी करें। यह राजनीतिक एकता और सहयोग का एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो विधेयक के पारित होने की प्रक्रिया को दर्शाता है।

निष्कर्ष

पश्चिम बंगाल की सरकार द्वारा पेश किया गया यह एंटी रेप बिल न केवल राज्य के कानूनों में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा बल्कि यह देशभर में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक नई दिशा भी प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस कदम को एक साहसिक और प्रेरणादायक पहल के रूप में देखा जा सकता है, जो बलात्कार और यौन अपराधों के खिलाफ एक मजबूत और प्रभावी कानूनी ढांचा तैयार करता है।