RBI MPC Meet:मॉनेटरी पॉलिसी क्या होती है, रेपो रेट और CRR? जिसका जिक्र RBI के गवर्नर ने किया

10:20 PM Dec 06, 2024 | zoomnews.in

RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में कुछ अहम फैसले किए। इस दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया, जबकि कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को घटाकर 4% कर दिया गया, जो पहले 4.5% था। ये बदलाव भले ही तकनीकी लगते हों, लेकिन इनका हमारे दैनिक जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। आइए इन नीतियों को समझते हैं और इनके प्रभाव का विश्लेषण करते हैं।

RBI और मॉनेटरी पॉलिसी: भूमिका और महत्व

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश की बैंकिंग प्रणाली और अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करता है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी, और 1949 में इसे भारत सरकार के अधीन लाया गया। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) हर दो महीने में बैठक करती है और यह तय करती है कि ब्याज दरों में बदलाव की जरूरत है या नहीं। ये निर्णय आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किए जाते हैं।

रेपो रेट: क्या है और इसका असर?

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI बैंकों को शॉर्ट-टर्म लोन उपलब्ध कराता है। जब बैंक अपनी सरकारी सिक्योरिटीज गिरवी रखकर पैसा लेते हैं, तो RBI उस पर ब्याज वसूलता है, जिसे रेपो रेट कहा जाता है।

रेपो रेट बढ़ने का प्रभाव

  • कर्ज लेना महंगा हो जाता है।
  • बाजार में पैसे की उपलब्धता कम होती है।
  • महंगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है।

रेपो रेट घटने का प्रभाव

  • कर्ज लेना सस्ता हो जाता है।
  • लोन लेना आसान होता है, जिससे उपभोक्ता खर्च बढ़ता है।
  • अर्थव्यवस्था में पैसे की तरलता (Liquidity) बढ़ती है।

CRR (कैश रिजर्व रेशियो): एक सुरक्षा कवच

कैश रिजर्व रेशियो (CRR) वह अनुपात है जो बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा RBI के पास नकद के रूप में रखना होता है।

CRR में कटौती का असर

  • बैंकों के पास लोन देने के लिए अधिक पैसा उपलब्ध होता है।
  • बाजार में नकदी बढ़ती है, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज होती हैं।

CRR बढ़ने का असर

  • बैंकों के पास कर्ज देने के लिए कम पैसा होता है।
  • नकदी पर नियंत्रण रखा जा सकता है, जिससे महंगाई को काबू में लाया जाता है।

मौद्रिक नीति के लाभ

मॉनेटरी पॉलिसी के जरिए RBI यह सुनिश्चित करता है कि अर्थव्यवस्था में पैसा संतुलित मात्रा में मौजूद हो। रेपो रेट और CRR में बदलाव से:

  1. महंगाई पर नियंत्रण: बाजार में पैसा कम या ज्यादा करके महंगाई को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
  2. लोन और EMI पर असर: कर्ज की लागत सीधे रेपो रेट से जुड़ी होती है। रेपो रेट घटने से आपकी EMI कम हो सकती है।
  3. बचत पर प्रभाव: ब्याज दरों में बदलाव से आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग अकाउंट पर ब्याज दर प्रभावित होती है।

निष्कर्ष

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति न केवल बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आम आदमी की जेब पर भी इसका बड़ा असर पड़ता है। चाहे वह लोन की EMI हो, बचत पर ब्याज दर हो, या महंगाई का स्तर—इन सभी पहलुओं पर इन फैसलों का प्रभाव पड़ता है। ऐसे में इन नीतियों को समझना और इनके प्रभाव का आकलन करना हमारे लिए बेहद जरूरी है।