Brij Bhushan Sharan Singh:बृजभूषण सिंह 'पहलवानों' और 'हु्ड्डा' को लेकर ये क्या बोल गए! 'द्रौपदी' से कर दी तुलना

09:37 PM Sep 08, 2024 | zoomnews.in

Brij Bhushan Sharan Singh: हरियाणा विधानसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच भारतीय कुश्ती की दो प्रमुख हस्तियाँ, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया, ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। इस राजनीतिक कदम के बाद से हरियाणा की राजनीतिक फिजा में हलचल मच गई है। विनेश फोगाट को कांग्रेस ने हरियाणा के जुलाल विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि बजरंग पूनिया को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।

इन दोनों पहलवानों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बृजभूषण सिंह ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के हुड्डा परिवार ने पहलवानों को "दांव पर लगाकर" उनके खिलाफ साजिश रची है। उनका कहना है कि यह साजिश महाभारत की द्रौपदी को दांव पर लगाने की घटना की तरह है।

बृजभूषण शरण सिंह ने रविवार को प्रेस वार्ता में कहा, “महाभारत में द्रौपदी को दांव पर लगाया गया था और पांडव हार गए थे। आज भी पांडवों की दलीलों को देश स्वीकार नहीं कर पा रहा है। हुड्डा परिवार ने बेटियों और बहनों की इज्जत को दांव पर लगाकर एक खतरनाक साजिश की है।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह साजिश आने वाली पीढ़ियों के लिए एक गंभीर अपराध के रूप में सामने आएगी।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम लेते हुए बृजभूषण ने कहा कि उनका इशारा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री की ओर था। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने पिछले साल महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसे बृजभूषण शरण सिंह ने घेर लिया है।

बजरंग पूनिया पर भी बृजभूषण शरण सिंह ने कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “बजरंग पूनिया की मानसिकता खराब हो गई है। उन्होंने अपनी पत्नी को दांव पर लगा दिया था। मैं पूछना चाहता हूं कि उन्होंने बिना ट्रायल के एशियाई खेलों में कैसे खेला?”

साल भर पहले महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते बृजभूषण शरण सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। वर्तमान में वह एक अदालत में आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं।

इस बीच, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होते समय “न डरने और न पीछे हटने” की शपथ ली है। उनके इस निर्णय ने न केवल हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि भारतीय कुश्ती के भीतर चल रही राजनीति और विवादों को भी एक नया मोड़ दे दिया है। अब देखना यह है कि आगामी विधानसभा चुनावों में इन पहलवानों का राजनीतिक करियर कैसे आकार लेता है और कांग्रेस पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर इसका क्या असर पड़ता है।