Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं। उनके नेतृत्व में अमेरिका की सरकार का चेहरा और एजेंडा पूरी तरह बदलने की तैयारी में है। ट्रंप ने अपनी कैबिनेट में उन अरबपतियों और उद्योगपतियों को शामिल किया है, जिन्होंने उनके चुनाव प्रचार में बड़े पैमाने पर चंदा दिया। इनमें एलन मस्क, लिंडा मैकमहॉन, और हावर्ड ल्यूटनिक जैसे नाम शामिल हैं।
ट्रंप का नारा "अमेरिका को फिर से महान बनाना" इस बार भी उनकी प्राथमिकता है, लेकिन इस नारे के साथ एक स्पष्ट संदेश है: "अमेरिका की हर पाई बचानी है।" इसी उद्देश्य से उन्होंने सरकारी फिजूलखर्ची रोकने और अपनी आर्थिक नीतियों को लागू करने के लिए अरबपति सलाहकारों और मंत्रियों की टीम बनाई है।
ट्रंप की टीम के नवरत्न
- एलन मस्क: ट्रंप ने उन्हें सरकारी कार्यक्षमता विभाग (DOGE) का प्रभारी बनाया है। मस्क की भूमिका सरकारी खर्च में कटौती और अमेरिका की तकनीकी क्रांति को बढ़ावा देने की है।
- लिंडा मैकमहॉन: WWE की सह-संस्थापक और ट्रंप की करीबी सहयोगी, जिन्हें शिक्षा मंत्री नियुक्त किया गया है। उनके चयन पर यह आरोप लग रहा है कि ट्रंप शिक्षा विभाग को खत्म करने की योजना बना रहे हैं।
- हावर्ड ल्यूटनिक: वाणिज्य मंत्री के रूप में नियुक्त, वे अमेरिका की 100 साल पुरानी आर्थिक नीतियों को वापस लाने के पक्षधर हैं।
- केली लोफलर: छोटे उद्योगों की प्रशासक नियुक्त की गईं, जो ट्रंप के एजेंडे को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगी।
- चार्ल्स कुशनर: ट्रंप के समधी को फ्रांस में अमेरिका का राजदूत बनाया गया है, जो परिवारवाद के आरोपों को हवा दे रहा है।
चुनावी चंदे का प्रतिफल
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की टीम के सदस्यों को उनके चुनावी योगदान के आधार पर प्रमुख पद दिए गए हैं। मस्क ने 263 मिलियन डॉलर, मैकमहॉन ने 21.2 मिलियन डॉलर, और हावर्ड ल्यूटनिक ने 9.4 मिलियन डॉलर का चंदा दिया। ट्रंप के विरोधियों का दावा है कि ये नियुक्तियां अमेरिका की लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं।
अमेरिका और उसके सहयोगियों पर असर
ट्रंप की सत्ता में वापसी से अमेरिका के सहयोगी देशों में खलबली मच गई है।
- कनाडा: ट्रंप की "टैरिफ वॉर" की धमकी ने कनाडा को मुश्किल में डाल दिया है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और ट्रंप के बीच तनाव बढ़ गया है।
- यूरोप: ट्रंप के टैरिफ प्रहार की संभावना से यूरोपीय यूनियन में भी चिंता है।
- चीन: ट्रंप ने पहले कार्यकाल में चीन के साथ व्यापार युद्ध छेड़ा था, और यह माना जा रहा है कि दूसरी पारी में वह और सख्त रवैया अपनाएंगे।
टेक कंपनियों के मालिक क्यों हैं चिंतित?
ट्रंप के सत्ता में लौटने से मेटा, अमेज़न, और ओपन एआई जैसी कंपनियों में घबराहट है। एलन मस्क की कैबिनेट में मौजूदगी से सैम ऑल्टमैन जैसे उद्योगपतियों ने ट्रंप के साथ संबंध सुधारने के लिए चंदा देना शुरू कर दिया है।
नया युग या पुरानी मुश्किलें?
डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी पारी की शुरुआत भले ही विवादों और आलोचनाओं के साथ हो रही हो, लेकिन उनके समर्थकों का मानना है कि वह अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और देश को "दुनिया में पहले" रखने के लिए कटिबद्ध हैं। हालांकि, उनके कदमों से अमेरिका के सहयोगी और विपक्षी दोनों ही सकते में हैं।
ट्रंपवाद के इस नए अध्याय से यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप अपने वादों को पूरा कर पाएंगे या यह केवल एक राजनीतिक तमाशा बनकर रह जाएगा।