Syria War News: अमेरिका ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं। अमेरिकी वायुसेना के बी-52 स्ट्रेटोफोर्ट्रेस बॉम्बर्स, एफ-15ई स्ट्राइक ईगल्स, और ए-10 थंडरबोल्ट II फाइटर जेट्स ने सेंट्रल सीरिया में ISIS के नेताओं, लड़ाकों, और ठिकानों पर दर्जनों हमले किए।
अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन हमलों में आतंकवादी समूह के 75 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया गया। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ये कार्रवाई सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद की स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए की गई है, ताकि ISIS जैसी आतंकी ताकतें वहां के अस्थिर हालात का फायदा न उठा सकें।
नागरिक हताहतों से इनकार
पेंटागन के मुताबिक, ये हमले सटीकता के साथ किए गए हैं, और इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि इनमें किसी भी नागरिक की जान नहीं गई। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के अधिकारी ने कहा, "राष्ट्रपति के आदेश पर ये मिशन चलाया गया। हमने ISIS के महत्वपूर्ण नेताओं और लड़ाकों को निशाना बनाया।"
हालांकि, अमेरिकी सेना अभी भी हमले से हुए नुकसान और इसके प्रभाव का आकलन कर रही है।
इजराइल का ऑपरेशन 'न्यू ईस्ट'
उधर, सीरिया में इजराइल भी बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई कर रहा है। असद सरकार के पतन के बाद, इजराइली रक्षा बलों (IDF) ने गोलान हाइट्स के पास अपनी स्थिति मजबूत करते हुए बफर जोन में सेना तैनात की है। इजराइली वायुसेना ने हाल ही में सीरिया में 100 से अधिक ठिकानों पर हमला किया है।
इजराइली अधिकारियों ने बयान दिया कि उन्होंने अस्थाई तौर पर सीरिया के बफर जोन पर कब्जा कर लिया है और वहां से ऐसे सैन्य ठिकानों को नष्ट कर रहे हैं, जिनके आतंकवादियों के हाथ लगने से इजराइल की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
ISIS पर निशाना: क्षेत्रीय सुरक्षा का प्रयास
अमेरिका और इजराइल दोनों ही सीरिया में अपनी कार्रवाई को क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास मानते हैं। अमेरिका का उद्देश्य ISIS के बढ़ते प्रभाव को रोकना है, जबकि इजराइल ने सीरिया में ऐसे ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं, जिनसे उसकी सीमाओं को खतरा हो सकता है।
निष्कर्ष
सीरिया में अमेरिकी और इजराइली हमले इस क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद और अस्थिरता के खिलाफ संयुक्त प्रयास को दर्शाते हैं। दोनों देशों की कार्रवाई ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि वे अपने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय हितों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। हालांकि, इन हमलों का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।