Shardiya Navratri: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप, मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि को देवी दुर्गा के सबसे उग्र और शक्तिशाली रूप के रूप में माना जाता है। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट और भय का नाश होता है। मां कालरात्रि के नाम से ही आसुरी शक्तियां यानी बुरी आत्माएं दूर भाग जाती हैं। इस दिन मां की आराधना से भक्त को साहस, शक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का रूप अत्यंत विकराल बताया गया है। उनका वर्ण (रंग) काला है, जिससे उन्हें 'कालरात्रि' कहा जाता है। उनकी तीन नेत्र हैं, जो उनकी दिव्य दृष्टि का प्रतीक हैं। मां के खुले हुए केश और गले में मुंडों की माला उनके रौद्र रूप को और भी अधिक विकराल बनाते हैं। वे गर्दभ (गधे) की सवारी करती हैं, जो उनके असामान्य और शक्तिशाली स्वरूप को दर्शाता है। उनका यह स्वरूप नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने वाला है, और उनकी पूजा से भय का नाश होता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, मां कालरात्रि की पूजा के लिए नवरात्रि के सातवें दिन का विशेष महत्व है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस समय मां की आराधना करना विशेष फलदायी माना जाता है।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा विधि सरल है, लेकिन इसमें श्रद्धा और समर्पण का होना आवश्यक है। पूजा की शुरुआत प्रातःकाल स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने से होती है। पूजा स्थान पर सबसे पहले कलश की पूजा करें, फिर मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक प्रज्वलित करें। मां को अक्षत (चावल), रोली, फूल और फल अर्पित करें। मां को विशेष रूप से लाल रंग के पुष्प प्रिय होते हैं, इसलिए गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके बाद दीपक और कपूर से मां की आरती करें और अंत में लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से मां का मंत्र जाप करें। मां को गुड़ का भोग लगाएं और गुड़ का दान करना भी अत्यंत शुभ होता है।
मां कालरात्रि का भोग
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा के दौरान गुड़ का भोग लगाने का विशेष महत्व है। गुड़ को देवी मां का प्रिय माना जाता है, इसलिए इस दिन उन्हें गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई, जैसे हलवा, का भोग अर्पित करना अत्यंत फलदायी होता है।
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मां कालरात्रि दुष्टों और असुरों का संहार करने वाली देवी हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के दुख, संकट और भय का नाश होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां कालरात्रि की पूजा से नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। मां कालरात्रि की कृपा से व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति करता है और उसके सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है।
मां कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के इस महत्वपूर्ण दिन पर भय से मुक्ति, कष्टों का नाश और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए की जाती है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति को जीवन में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है, और उसके जीवन से हर तरह की नकारात्मकता दूर हो जाती है।
मां कालरात्रि के मंत्र
मां कालरात्रि का प्रार्थना मंत्र
- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
- वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
मां कालरात्रि की स्तुति मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
- नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कालरात्रि का ध्यान मंत्र
- करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्। कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥
- दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्। अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥
- महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा। घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
- सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्। एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
मां कालरात्रि की आरती
- जय जय अम्बे जय कालरात्रि।
- कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
- काल के मुह से बचाने वाली ॥
- दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
- महाचंडी तेरा अवतार ॥
- पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
- महाकाली है तेरा पसारा ॥
- खडग खप्पर रखने वाली ।
- दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
- कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
- सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
- सभी देवता सब नर-नारी ।
- गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
- रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
- कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
- ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
- ना कोई गम ना संकट भारी ॥
- उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
- महाकाली मां जिसे बचाबे ॥
- तू भी भक्त प्रेम से कह ।
- कालरात्रि मां तेरी जय ॥
- जय जय अम्बे जय कालरात्रि।