Sukhbir Badal Firing: 4 दिसंबर, 2024, सुबह के 9:30 बजे, अमृतसर शहर के स्वर्ण मंदिर परिसर में एक सनसनीखेज घटना घटी। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल अपनी धार्मिक सजा के तहत सेवादार के रूप में तैनात थे। इस दौरान उनके साथ तीन बॉडीगार्ड भी खड़े थे और श्रद्धालु मंदिर में आ-जा रहे थे। तभी एक अधेड़ उम्र का शख्स, जो भूरी जैकेट, मूंगिया पैंट और नीली पगड़ी पहने हुए था, मंदिर में दाखिल हुआ और जैसे ही उसकी नज़र सुखबीर बादल पर पड़ी, उसने अपने कदम धीमे कर दिए।
इस संदिग्ध हरकत को देख सुरक्षा गार्ड्स की चेतावनी पर, उस शख्स ने अचानक अपनी जेब से पिस्तल निकाली और सुखबीर बादल की तरफ गोली चला दी। हालांकि, उसी समय एक सुरक्षा गार्ड ने उसकी हथेली को घुमा दिया और उसे पकड़ लिया। इस कारण गोली सुखबीर बादल को न लगकर हवा में चली गई। इस दौरान उसने एक और गोली चलाई, जो भी हवा में ही चली। सुरक्षा गार्ड्स और मंदिर के सेवादारों ने तत्परता दिखाते हुए उस शख्स को पकड़ लिया।
गोलीबारी के बाद हड़कंप
गोली चलने के बाद मंदिर परिसर में हड़कंप मच गया, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत स्थिति को संभाल लिया। सुखबीर बादल को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया और वहां से कुछ देर तक सुरक्षा मुहैया कराई गई। गनीमत यह रही कि सुखबीर बादल को कोई भी चोट नहीं आई। अगर सुरक्षा गार्ड्स ने तुरंत उस शख्स को काबू न किया होता, तो यह घटना गंभीर रूप ले सकती थी।
सुरक्षा गार्ड जसबीर और परमिंदर की तत्परता ने हमले को नाकाम किया। जसबीर ने पहले हमला करने वाले को पकड़ा और उसके बाद परमिंदर ने उसकी गिरफ्तारी में मदद की।
हमलावर का परिचय: नारायण सिंह चौड़ा
सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर को तुरंत हिरासत में ले लिया। उसकी पहचान 68 वर्षीय नारायण सिंह चौड़ा के रूप में हुई, जो गुरदासपुर जिले के चौड़ा गांव का निवासी है। पुलिस के मुताबिक, नारायण सिंह पिछले दो दिनों से स्वर्ण मंदिर में आकर मत्था टेक रहा था और उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध लग रही थीं, इसलिए पुलिस ने उस पर पहले से ही नज़र रखी थी। प्राथमिक जांच में यह भी सामने आया कि वह खालिस्तानी समर्थक हो सकता है और बेअदबी मुद्दों को लेकर सुखबीर बादल से नाराज था।
सुरक्षा मुद्दे और राजनीतिक हलचल
इस घटना ने स्वर्ण मंदिर और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आरोपी से कड़ी पूछताछ की जा रही है। एडीसीपी हरपाल सिंह ने बताया कि आरोपी का धार्मिक कट्टरता से प्रेरित होना संभव है। पुलिस ने सुरक्षा कड़ी करने का आश्वासन दिया है और मामले की गहनता से जांच का निर्णय लिया है।
इस हमले के बाद पंजाब की राजनीति में भी हलचल मच गई है। यह घटना राजनीतिक नेताओं और उनकी सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठा रही है, विशेषकर उन नेताओं पर जो धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील मुद्दों से जुड़े होते हैं।
सुखबीर बादल और अन्य नेताओं की सेवादार भूमिका
यह घटना तब हुई जब सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक सजा (तनखाह) के तहत स्वर्ण मंदिर में सेवादार के रूप में काम करने का आदेश दिया गया था। उनकी सजा का यह दूसरा दिन था। सुखबीर व्हीलचेयर पर थे क्योंकि उनके पैर में फ्रैक्चर था। उनका साथ देने के लिए सुखदेव सिंह ढींडसा, बिक्रम सिंह मजीठिया, और दलजीत सिंह चीमा ने भी सेवादार की भूमिका निभाई। सुखबीर और सुखदेव ने अपने गले में छोटे बोर्ड लटकाए थे, जिसमें उनके द्वारा किए गए गलत कार्यों का उल्लेख था, और दोनों ने एक घंटे तक मंदिर में काम किया।
निष्कर्ष
यह घटना एक बार फिर से यह सिद्ध करती है कि किसी भी समय और स्थान पर खतरा मंडरा सकता है। सुखबीर सिंह बादल पर इस हमले ने न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है, बल्कि यह घटना धार्मिक कट्टरता और राजनीतिक असहमति के बीच की खाई को भी उजागर करती है। सुरक्षा व्यवस्थाओं को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और समाज में शांति बनी रहे।
#WATCH | Punjab: Bullets fired at Golden Temple premises in Amritsar where SAD leaders, including party chief Sukhbir Singh Badal, are offering 'seva' under the religious punishments pronounced for them by Sri Akal Takht Sahib, on 2nd December.
— ANI (@ANI) December 4, 2024
Details awaited. pic.twitter.com/CFQaoiqLkx