Jharkhand Elections 2024:झारखंड की वो 8 सीटें जहां हेमंत निकले BJP के दांव से ही कमल मुर्झाने

01:33 PM Oct 22, 2024 | zoomnews.in

Jharkhand Elections 2024: झारखंड में कोई भी सरकार अब तक रिपीट नहीं हो पाई है, और इस परंपरा को तोड़ने की चुनौती हेमंत सोरेन के सामने है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन न केवल अपनी पार्टी को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि वह बीजेपी की रणनीति को मात देने की योजना भी बना रहे हैं। अगर उनका यह प्रयोग सफल रहता है, तो इससे न केवल सरकार का दोबारा गठन होगा, बल्कि भाजपा के दिग्गज नेताओं को भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

चुनावी समय सारणी

झारखंड में 81 विधानसभा सीटों के लिए 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। इन चुनावों में हेमंत सोरेन ने 8 महत्वपूर्ण सीटों पर अपने उम्मीदवारों को तैनात किया है, जो भाजपा के दिग्गज नेताओं को सीधे टक्कर देंगे।

8 सीटों पर झामुमो की रणनीति

  1. चंदनकियारी: यहां से बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी चुनाव लड़ रहे हैं। हेमंत ने पूर्व विधायक उमाकांत रजक को अपने पक्ष में किया है, जो इस सीट पर बाउरी के लिए चुनौती बन सकते हैं।

  2. सारठ: बीजेपी ने रणधीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि हेमंत ने पूर्व विधायक उदयशंकर सिंह को अपने पाले में लाकर रणधीर के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

  3. भवनाथपुर: इस सीट से बीजेपी के भानुप्रताप शाही को चुनौती देने के लिए हेमंत ने पिछले चुनाव में नंबर-2 और नंबर-3 रहे प्रत्याशियों को अपने साथ कर लिया है।

  4. धनवार: बाबू लाल मरांडी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। हेमंत ने राज कुमार यादव को यहां खड़ा कर उनकी स्थिति को कमजोर करने की योजना बनाई है।

  5. जामा: यह हेमंत सोरेन की परंपरागत सीट है। यहां बीजेपी के लुईस मरांडी को अपने साथ लाकर हेमंत ने स्थिति को मजबूत किया है।

  6. जमुआ: हेमंत ने पहले के विधायक केदार हाजरा को अपने साथ लाकर इस सीट को अपने खाते में डालने की तैयारी की है।

  7. बहरगोड़ा: यहां हेमंत ने समीर मोहंथी और कुणाल षाडंगी के बीच मेल-मिलाप से स्थिति को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है।

  8. सरायकेला: चंपई सोरेन के बीजेपी में जाने के बावजूद, हेमंत ने गणेश महली, बास्को बेरा और लक्ष्मण टुडु को एकजुट कर उनके खिलाफ रणनीति बनाई है।

चुनावी सियासत का खेल

हेमंत सोरेन की यह चुनावी रणनीति न केवल पार्टी की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि वे अपने विरोधियों की कमजोरियों का भरपूर लाभ उठाने के लिए तैयार हैं। उनका प्रयास है कि वे उन सीटों पर अपना प्रभाव बढ़ाएं, जहां बीजेपी के बड़े नेता चुनाव लड़ रहे हैं।

यदि हेमंत सोरेन का यह प्रयोग सफल रहता है, तो झारखंड में पहली बार एक सरकार दोबारा सत्ता में आ सकती है, और साथ ही पार्टी के दिग्गज नेताओं को चुनावी हार का सामना करना पड़ सकता है। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या हेमंत सोरेन अपनी रणनीति में सफल हो पाते हैं या नहीं।