BRICS Summit 2024:BRICS समिट की ये तस्वीर पुतिन का जोश हाई करने वाली है, पश्चिमी देशों को ऐसे दिया झटका

01:15 PM Oct 23, 2024 | zoomnews.in

BRICS Summit 2024: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को तीन साल होने वाले हैं, और इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों और दबाव का सामना कर रहे हैं। रूस पर अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों की वजह से आर्थिक और राजनीतिक दबाव बढ़ा है, लेकिन पुतिन ने इन चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी ताकत को नई दिशा में मोड़ने का प्रयास किया है। इस दिशा में ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन उनके लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ है।

ब्रिक्स 2023: कज़ान में रूस की शक्ति प्रदर्शन

ब्रिक्स का 16वां शिखर सम्मेलन रूस के कज़ान शहर में हो रहा है, जहां 30 से अधिक देशों के नेता जुटे हैं। इस मंच पर पुतिन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही सही, पर पूरी दुनिया के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। खासकर उन पश्चिमी देशों के लिए यह सम्मेलन एक संदेश है, जो रूस को वैश्विक मंच से अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं।

पिछले साल ब्रिक्स के 15वें सम्मेलन में पुतिन साउथ अफ्रीका नहीं गए थे क्योंकि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसके बावजूद, पुतिन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उस समिट में भाग लिया था। इस बार, रूस के अपने शहर कज़ान में हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन से पुतिन की यह कोशिश है कि रूस को न केवल पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद एक मजबूत वैश्विक ताकत के रूप में प्रस्तुत किया जाए, बल्कि विकासशील देशों के साथ एक नया गठबंधन बनाया जाए।

ग्लोबल साउथ और विकासशील देशों के साथ गठजोड़

ब्रिक्स के इस समिट में चीन, भारत, UAE, ईरान और अन्य कई देशों के नेताओं के साथ पुतिन की बातचीत विकासशील देशों के साथ रूस के मजबूत संबंधों को दर्शाती है। रूस के लिए यह मंच एक ऐसा अवसर है जहां वह विकासशील देशों को पश्चिमी वर्चस्व से मुक्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इस साल की शुरुआत में ब्रिक्स में UAE, मिस्र, ईरान और इथोपिया जैसे देशों का शामिल होना इसी दिशा में एक संकेत था, और इस समिट में भी कई और देशों के जुड़ने की संभावना है।

ब्रिक्स सम्मेलन: पश्चिमी देशों को स्पष्ट संदेश

ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन खुद में एक बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश देता है। पुतिन ने यह साफ कर दिया है कि रूस पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से कमजोर नहीं हुआ है। इसके उलट, रूस विकासशील देशों के साथ मिलकर एक नया आर्थिक और राजनीतिक गठबंधन बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। भारत और चीन जैसे ग्लोबल साउथ के बड़े देशों के साथ पुतिन के संबंध इस गठबंधन की मजबूती को और बढ़ा रहे हैं।

विशेष रूप से, भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने में रूस की भूमिका का जिक्र इस सम्मेलन के दौरान हो रहा है, जिससे यह साबित होता है कि रूस वैश्विक कूटनीति में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

ब्रिक्स: पुतिन के लिए एक नया मंच

पुतिन के लिए यह ब्रिक्स सम्मेलन एक उपहार जैसा है। इस मंच के जरिए वह यह दिखाना चाहते हैं कि रूस G7 जैसे पश्चिमी संगठनों के बिना भी खड़ा रह सकता है, और ब्रिक्स एक ऐसा संगठन है जो एक न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था की दिशा में काम कर रहा है। यह सम्मेलन यह संदेश दे रहा है कि छोटे और विकासशील देश भी अब वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती: ब्रिक्स करेंसी का प्रस्ताव

ब्रिक्स सम्मेलन का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा ब्रिक्स करेंसी का प्रस्ताव है। पुतिन ने इस मौके पर कहा कि अमेरिकी डॉलर और यूरो के प्रभुत्व को खत्म करने के लिए एक वैकल्पिक भुगतान व्यवस्था की जरूरत है, ताकि आर्थिक विकास को राजनीति से मुक्त रखा जा सके।

अगर ब्रिक्स करेंसी की पहल इस सम्मेलन में सफल होती है, तो यह रूस के लिए एक बड़ी कामयाबी होगी और अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका। इससे ब्रिक्स देशों के बीच लेन-देन को डॉलर के बिना संभव बनाया जा सकेगा, जो पश्चिमी वित्तीय वर्चस्व को कमजोर करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

निष्कर्ष: ब्रिक्स सम्मेलन से पुतिन की नई भूमिका

यूक्रेन युद्ध के तीन साल बाद भी पुतिन ने पश्चिमी देशों के दबाव का सामना करते हुए ब्रिक्स को एक ऐसा मंच बनाया है, जहां से वह दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि रूस एक अकेला नहीं, बल्कि मजबूत गठबंधन का हिस्सा है। ब्रिक्स सम्मेलन के जरिए पुतिन ने ग्लोबल साउथ के देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक नए ढांचे की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।