Israel-Iran War:इजराइल के ये ठिकाने अब ईरान के टारगेट पर, 72 घंटे में कर सकता है हमला

10:03 AM Nov 02, 2024 | zoomnews.in

Israel-Iran War: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई ने हाल ही में इजराइल के खिलाफ बदले की कार्रवाई की घोषणा की है, जिसके बाद ईरान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल प्लेटफॉर्म को रणनीतिक स्थानों पर तैनात कर दिया है। ईरान के इस कदम ने वैश्विक सुरक्षा पर चिंताएँ बढ़ा दी हैं, खासकर जब इजराइल ने अपने हिस्से से यह स्पष्ट कर दिया है कि ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकना उसका प्राथमिक लक्ष्य है।

क्या ईरान और इजराइल का यह संघर्ष महासंग्राम में बदलने वाला है?

इस संकट के पीछे की जटिलताएँ और संभावित परिणामों का आकलन करते हुए, यह स्पष्ट है कि यह संघर्ष केवल दो देशों के बीच की सीमा तक सीमित नहीं रह सकता। यदि ईरान अपने मिसाइलों का इस्तेमाल करता है, तो उसका मुख्य ध्यान इजराइल के प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से गैस और तेल के क्षेत्रों पर होगा।

संभावित टारगेट्स

ईरान के संभावित टारगेट्स में भूमध्य सागर में इजराइल के कई प्रमुख गैस और ऑयल फील्ड शामिल हैं:

  1. नोआ-1 गैस रिज: यह इजराइल के तटीय शहर अश्केलोन से 40 किलोमीटर दूर स्थित है।
  2. मारी-B गैस रिज: यह नोआ-1 से 15 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसमें 45 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस का भंडार है।
  3. तमार गैस फील्ड: यह हाइफा शहर से 90 किलोमीटर दूर है, और यहाँ भी गैस निकासी की जा रही है।
  4. लेवियाथन गैस फील्ड: यह तमार से 30 किलोमीटर पश्चिम में है और यह इजराइल का सबसे बड़ा गैस फील्ड है।

ईरान की मिसाइलें साइप्रस के पश्चिम में स्थित कारिश, तापिन और डॉल्फिन गैस रिज पर भी हमला कर सकती हैं।

हमले की समयसीमा

5 नवंबर को अमेरिका में चुनाव होने के कारण, यह आशंका जताई जा रही है कि ईरान इस समय का उपयोग इजराइल पर हमले के लिए कर सकता है। ईरान चाहता है कि वह किसी भी प्रतिक्रिया में देरी न करे, ताकि प्रॉक्सी संगठनों का मनोबल ऊंचा बना रहे।

इजराइल की तैयारी

इजराइल ने भी अपने रुख को स्पष्ट किया है कि वह ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने देगा। यदि ईरान वास्तव में परमाणु बम बनाने की प्रक्रिया में है, तो इजराइल के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण होगा कि वह जल्द से जल्द कुछ कार्रवाई करे।

इजराइल के विकल्प

इजराइल के पास ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला करने के दो विकल्प हैं:

  1. मिसाइल हमले: हालांकि यह विकल्प कठिन है क्योंकि ईरान के परमाणु संयंत्र गहराई में हैं और इजराइल के पास ऐसे हथियार नहीं हैं जो 200 मीटर गहरे हमले को सक्षम करें। इसके अलावा, अमेरिका से अनुमति प्राप्त करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

  2. साइबर हमले: यह इजराइल के लिए एक संभावित उपाय हो सकता है। वर्ष 2005 में, इजराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करने के लिए स्टक्सनेट वायरस का उपयोग किया था, जिसने ईरान के यूरेनियम सेंट्रीफ्यूज को नष्ट कर दिया था।

संभावित परिणाम

यदि ईरान या इजराइल में से किसी ने भी हमला किया, तो पूरे अरब क्षेत्र में स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो सकती है। यह न केवल ईरान-इजराइल के बीच का संघर्ष होगा, बल्कि इससे व्यापक स्तर पर राजनीतिक और सुरक्षा समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

इस समय, दुनिया की नजर इस संकट पर है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह संघर्ष किस दिशा में बढ़ता है। दोनों देशों के बीच की यह तनातनी न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित करेगी, बल्कि वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य पर भी असर डालेगी।