Maharashtra Politics:ये एक दर्जन परिवार महाराष्ट्र की सियासत को मुट्ठी में रखते हैं

05:34 PM Nov 11, 2024 | zoomnews.in

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की लड़ाई में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन पूरी ताकत झोंक चुके हैं। इस चुनावी समर में प्रदेश के कुछ खास राजनीतिक परिवारों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। महाराष्ट्र की राजनीति में कई बड़े परिवारों का लंबे समय से दबदबा रहा है, और इस बार भी ये राजनीतिक परिवार चुनावी चर्चा के केंद्र में हैं।

ठाकरे परिवार: चुनौतीपूर्ण चुनावी सफर

महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार का नाम शीर्ष पर आता है। बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना कर राज्य की राजनीति में एक अद्वितीय पहचान बनाई। उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए उद्धव ठाकरे ने पार्टी की कमान संभाली, लेकिन पार्टी में दरार के चलते उन्हें शिवसेना से अलग होकर नई पार्टी बनानी पड़ी। इस बार चुनाव में ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी से आदित्य ठाकरे और राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे मैदान में हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे ठाकरे परिवार की राजनीतिक साख को बरकरार रख पाते हैं या नहीं।

पवार परिवार: सियासी विरासत की लड़ाई

महाराष्ट्र के पवार परिवार में शरद पवार का नाम सबसे महत्वपूर्ण है, जिन्होंने एनसीपी की स्थापना की। शरद पवार की विरासत अब बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजीत पवार के बीच बंटी हुई है। अजीत पवार वर्तमान में उपमुख्यमंत्री हैं और चुनावी मैदान में मजबूती से खड़े हैं। वहीं, शरद पवार अपने पोते योगेंद्र और रोहित पवार को भी चुनाव में उतार चुके हैं, जिससे मुकाबला बेहद रोचक बन गया है।

राणे परिवार: आक्रमक राजनीति का प्रतीक

कोंकण क्षेत्र में नारायण राणे का नाम एक आक्रामक नेता के रूप में जाना जाता है। अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत शिवसेना से करने के बाद वे कांग्रेस और अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इस बार उनके बेटे नितेश और नीलेश राणे अलग-अलग सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। कोंकण में राणे परिवार की पकड़ मजबूत है, लेकिन इस बार मुकाबला आसान नहीं होगा।

चव्हाण परिवार: सियासी बदलाव का चेहरा

चव्हाण परिवार ने भी महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस के माध्यम से प्रभाव डाला है। हालांकि, अब परिवार के सदस्य बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। अशोक चव्हाण की पत्नी अमिता चव्हाण इस बार चुनाव लड़ रही हैं। नांदेड़ जिले में चव्हाण परिवार का प्रभाव बरकरार है, लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन में होने से चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

मुंडे परिवार: अस्तित्व की लड़ाई

गोपीनाथ मुंडे की राजनीतिक विरासत उनके परिवार के हाथों में है, जिसमें उनकी बेटी पंकजा मुंडे और भतीजे धनंजय मुंडे शामिल हैं। हालांकि, पंकजा इस बार चुनाव में नहीं हैं, लेकिन धनंजय मैदान में हैं। यदि वे इस बार हार जाते हैं, तो मुंडे परिवार की राजनीति को गहरा झटका लग सकता है।

भुजबल परिवार: ओबीसी राजनीति में प्रभाव

छगन भुजबल ओबीसी राजनीति में एक प्रभावशाली नाम हैं, जो एनसीपी में शामिल होकर नासिक क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बनाए हुए हैं। इस बार उनके भतीजे समीर भुजबल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं, जिससे मुकाबला रोचक बना हुआ है।

शिंदे परिवार: वर्चस्व की लड़ाई

एकनाथ शिंदे और सुशील कुमार शिंदे, दोनों शिंदे परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एकनाथ शिंदे, जो शिवसेना में बड़ी भूमिका निभाते थे, अब अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस में सुशील कुमार शिंदे का भी सोलापुर क्षेत्र में प्रभाव है।

खड़से, देशमुख, निलंगेकर और अन्य परिवार: विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव

महाराष्ट्र के अलग-अलग क्षेत्रों में कई अन्य परिवार भी प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। खड़से परिवार एनसीपी और बीजेपी में बंट चुका है, देशमुख परिवार लातूर में, और निलंगेकर परिवार निलंगा क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए हुए है। इन सभी परिवारों की आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ यह सियासी परिवार भी अपने वर्चस्व को बनाए रखने की जद्दोजहद में हैं। ठाकरे, पवार, राणे, चव्हाण, मुंडे और भुजबल जैसे प्रमुख राजनीतिक परिवारों के सदस्यों के चुनावी परिणाम राज्य की राजनीति की दिशा निर्धारित करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन पारिवारिक दावेदारों में से कौन अपनी सियासी धाक को बरकरार रख पाएगा और कौन नई चुनौतियों के आगे टिक नहीं पाएगा।