Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की ताजा समीक्षा बैठक में एक बार फिर रेपो रेट को स्थिर रखा है। यह 6.5% पर बना हुआ है, और यह लगातार 11वीं बार है जब इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। यह कदम महंगाई के मौजूदा स्तर और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए उठाया गया है। हालांकि, इससे सस्ते लोन और ईएमआई में कटौती का इंतजार कर रहे लोगों को निराशा हाथ लगी है।
महंगाई: प्रमुख चुनौती
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्वीकार किया कि बढ़ती महंगाई देश की आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर रही है। दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से कम रही, खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती के कारण। हालांकि, जनवरी से मार्च 2024 के बीच महंगाई में कमी आने की उम्मीद जताई गई है।
आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति को 4% के दायरे में बनाए रखने का लक्ष्य रखा है, लेकिन फिलहाल बढ़ती कीमतें इस लक्ष्य से दूर हैं। इसके अलावा, महंगाई को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.6% कर दिया है।
सीआरआर में कटौती: लिक्विडिटी में सुधार
आरबीआई ने बैंकों में नकदी बढ़ाने के लिए नकद आरक्षी अनुपात (CRR) में 0.50% की कटौती की है। इसे 4.5% से घटाकर 4% किया गया है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त लिक्विडिटी बढ़ेगी। इस फैसले से बैंकों के पास कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे आम लोगों और व्यापारियों को लोन मिलने में आसानी होगी।
फेस्टिव मांग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार
फेस्टिव सीजन के दौरान बाजार में बढ़ती मांग और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं। शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में लोन की मांग बनी हुई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वित्तीय क्षेत्र मजबूत स्थिति में है।
आरबीआई का नया कदम: पॉडकास्ट सर्विस
सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए आरबीआई ने पॉडकास्ट सर्विस शुरू करने का ऐलान किया है। इस पहल के तहत नागरिक आसानी से आरबीआई की नीतियों और वित्तीय जानकारी को समझ सकेंगे। यह कदम केंद्रीय बैंक को जनता के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने में मदद करेगा।
भविष्य की दिशा
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि महंगाई और वैश्विक आर्थिक कारकों पर करीबी नजर रखी जा रही है। फरवरी 2024 में होने वाली अगली बैठक तक रेपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि, सीआरआर में कटौती और लिक्विडिटी बढ़ाने जैसे कदम से अर्थव्यवस्था को राहत मिलने की उम्मीद है।
निष्कर्ष:
आरबीआई का मौजूदा रुख महंगाई को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर केंद्रित है। हालांकि, आम जनता और व्यापारियों को उम्मीद है कि आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती और ईएमआई में राहत देखने को मिलेगी।