Bangladesh Violence: शेख हसीना की सरकार के विघटन के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों में कई घटनाएं सामने आई हैं, जो दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का कारण बन रही हैं। बांग्लादेश में हिंदू धर्म के अनुयायी, जो यहां की 17 करोड़ की जनसंख्या का लगभग आठ प्रतिशत हैं, इन दिनों लगातार हिंसा का शिकार हो रहे हैं। 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार के अपदस्थ होने के बाद, बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदुओं पर हमले तेज हो गए हैं, और अब तक 200 से अधिक हमले सामने आ चुके हैं।
इस बीच, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री बांग्लादेश के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से हिंदुओं पर हो रहे हमलों की घटनाओं को उठाया। मिस्त्री ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत की गहरी चिंता व्यक्त की। उनकी यात्रा के बाद, बांग्लादेश सरकार ने स्वीकार किया कि 5 अगस्त से 22 अक्टूबर तक अल्पसंख्यकों के खिलाफ 88 हिंसक घटनाएं हुई हैं, जिनमें 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने यह भी कहा कि गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ने की संभावना है, क्योंकि नए मामले सामने आ रहे हैं, खासकर सुनामगंज और मध्य गाजीपुर जैसे इलाकों में।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में मंदिरों पर हमले
पिछले कुछ हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी भी चर्चा का विषय बनी हुई है। इसके अलावा, बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाओं में भी तेजी आई है। मंदिरों पर हमले और हिंदू संतों की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट होता है कि हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। भारत और अन्य देशों ने इस हिंसा पर अपनी गहरी चिंता जताई है, और बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
अल्पसंख्यकों पर हमलों में वृद्धि
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि से साफ है कि इस समय वहां की राजनीतिक स्थिति बहुत ही अस्थिर है। 5 अगस्त के बाद, बांग्लादेश के 50 से अधिक जिलों में हिंदुओं पर 200 से ज्यादा हमले हुए हैं, जिनमें मंदिरों पर हमले, हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न शामिल हैं। हालांकि बांग्लादेश सरकार ने यह तर्क दिया है कि इन घटनाओं में केवल कुछ ही हमले हिंदुओं की आस्था के कारण हुए हैं, लेकिन अधिकतर घटनाएं राजनीतिक कारणों से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं।
अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने इस बात पर जोर दिया है कि कुछ घटनाओं में पीड़ितों के पूर्व राजनीतिक संबंध हो सकते हैं, जो पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े हुए थे। लेकिन, यह भी स्पष्ट है कि इस हिंसा के कारण दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश की सरकार के हटने के बाद, दोनों देशों के बीच हालात और भी खराब हुए हैं, और अब बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी की यह पहली यात्रा थी।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित किया है। अगस्त में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई। इसके कुछ ही दिनों बाद, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने बांग्लादेश का दौरा किया और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की, जिससे यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग की जरूरत है, ताकि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस परिप्रेक्ष्य में, भारत की चिंता यह है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं, के खिलाफ हो रही हिंसा देश की सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरे का संकेत हो सकती है। इस बीच, बांग्लादेश सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले, हिंदू संत की गिरफ्तारी और मंदिरों पर हमले, इन सभी घटनाओं ने केवल बांग्लादेश की आंतरिक स्थिति को ही प्रभावित नहीं किया है, बल्कि भारत-बांग्लादेश रिश्तों को भी जटिल बना दिया है। भारत की सरकार इस बात की जोरदार मांग कर रही है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इस संकट का समाधान दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग पर निर्भर करेगा, ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।