Maharashtra Election: महाराष्ट्र में बुधवार को होने जा रहे विधानसभा चुनाव ने राज्य की सियासत में नई सरगर्मी ला दी है। ये चुनाव चार प्रमुख नेताओं—शरद पवार, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे—के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। जहां चुनाव आयोग ने शिंदे और अजित पवार के गुटों को शिवसेना और एनसीपी का असली वारिस माना है, वहीं शरद पवार और उद्धव ठाकरे अपनी-अपनी साख बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
‘असली’ की जंग: कौन होगा जनता का भरोसेमंद?
शरद पवार और अजित पवार के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की असल विरासत पर चल रही लड़ाई अब विधानसभा चुनावों में पहुंच गई है। लोकसभा चुनाव में शरद पवार ने अपने गुट को मजबूती दी थी, जबकि अजित पवार को करारी शिकस्त मिली थी। इस बार अजित पवार वापसी की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन शरद पवार ने पश्चिमी महाराष्ट्र के अपने गढ़ में ताकत झोंक दी है। दूसरी ओर, शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुटों में भी 'असली शिवसेना' की पहचान को लेकर चुनावी संघर्ष जारी है।
निर्वाचन आयोग ने जहां शिंदे गुट को शिवसेना का असली वारिस माना है, वहीं उद्धव ठाकरे ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता को यह याद दिलाने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी ने वर्षों तक मुंबई और महाराष्ट्र की सेवा की है।
50 सीटों पर शिवसेना के दोनों धड़े आमने-सामने
चुनाव में शिवसेना और एनसीपी के दोनों धड़े कई सीटों पर सीधी टक्कर दे रहे हैं। शिवसेना के शिंदे और उद्धव गुट 50 सीटों पर आमने-सामने हैं, जबकि एनसीपी के शरद और अजित गुट 37 सीटों पर एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
महायुति (भाजपा-शिंदे-अजित गुट) और महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस-शरद पवार-उद्धव गुट) के गठबंधनों ने चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिंदे गुट 81 और अजित गुट 59 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस 101, शिवसेना (UBT) 95, और एनसीपी (SP) 86 सीटों पर मैदान में है।
मुंबई और पश्चिमी महाराष्ट्र: सियासत के निर्णायक मोर्चे
मुंबई में शिवसेना के दोनों गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई सबसे दिलचस्प होगी। आर्थिक राजधानी में पहले अविभाजित शिवसेना का दबदबा था, लेकिन अब यहां उद्धव और शिंदे गुट में सीधी टक्कर है।
पश्चिमी महाराष्ट्र, जिसे पवार परिवार का गढ़ माना जाता है, भी इस बार सियासी लड़ाई का केंद्र बना हुआ है। शरद पवार ने अजित पवार और उनके गुट को "बागी" करार देते हुए मतदाताओं से उनके खिलाफ वोट करने की अपील की है। अजित पवार ने क्षेत्र में भावनात्मक अपीलों से बचते हुए विकास और स्थिरता के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया है।
लोकसभा चुनावों से विधानसभा चुनावों की कहानी अलग
लोकसभा चुनावों में जहां एनसीपी (SP) ने 8 सीटें और शिवसेना (UBT) ने 9 सीटें जीती थीं, वहीं विधानसभा चुनाव का स्वरूप और मुद्दे अलग हैं। इस बार छोटे दलों—एआईएमआईएम, बीएसपी और समाजवादी पार्टी—की भूमिका भी अहम होगी। ये दल कुछ क्षेत्रों में वोट काटकर बड़े दलों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
नतीजों का असर: किसका सियासी भविष्य होगा सुरक्षित?
इन चुनावों के नतीजे न केवल महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेंगे, बल्कि चारों प्रमुख नेताओं—शरद पवार, अजित पवार, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे—के सियासी भविष्य पर भी गहरा असर डालेंगे।
यदि अजित पवार और शिंदे गुट को बड़ी जीत मिलती है, तो यह उनकी स्थिति को मजबूती देगा। वहीं, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के लिए हार का मतलब होगा उनकी पार्टियों की साख पर सवाल उठना।
इस बार के विधानसभा चुनाव न केवल सियासी परिदृश्य बदल सकते हैं, बल्कि महाराष्ट्र की जनता के बीच असली नेतृत्वकर्ता की पहचान भी तय करेंगे।