Kedarnath Dham:केदारनाथ धाम के कपाट हुए बंद, 'जय बाबा केदार' की आवाज से गूंजा इलाका

10:25 AM Nov 03, 2024 | zoomnews.in

Kedarnath Dham: आज सुबह विधि-विधान के साथ केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए, जिसके साथ ही अगले 6 महीनों तक केदारनाथ के दर्शन अब उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होंगे। सुबह 4 बजे से ही विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन शुरू हुआ, और 8:30 बजे केदारनाथ के मुख्य कपाट बंद कर दिए गए। सर्दियों में बर्फबारी के चलते केदारनाथ के कपाट हर साल भाई दूज के दिन बंद किए जाते हैं और फिर वसंत में कपाट पुनः खोले जाते हैं।

कपाट बंद करने की प्रक्रिया

कपाट बंद करने के दिन पंचमुखी मूर्ति को चल विग्रह डोली में विराजमान किया जाता है, जो पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर की ओर प्रस्थान करती है। इस यात्रा का पहला पड़ाव आज गौरीकुंड, सोनप्रयाग होते हुए रामपुर में होगा, जहां डोली रात भर विश्राम करेगी। इसके बाद 5 नवंबर को केदारनाथ की मूर्ति उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित की जाएगी, जहां श्रद्धालु पूरी सर्दियों में दर्शन कर सकेंगे।

इस साल की तीर्थयात्रा

इस वर्ष केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं का जबरदस्त उत्साह देखा गया। आंकड़ों के अनुसार, 16 लाख से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ पहुंचे। पिछले 6 दिनों में ही लगभग 1 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। कपाट बंद होने के अवसर पर भी बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ मंदिर में उपस्थित थी, जिनमें उत्साह और आस्था का अद्भुत संगम देखा गया।

मंदिर की भव्य सजावट

कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था। लगभग 10 क्विंटल फूलों से पूरे मंदिर परिसर को सुसज्जित किया गया, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। मंदिर के सभा मंडप से लेकर मुख्य द्वार तक हर जगह फूलों की सजावट की गई थी, और इस अलौकिक नज़ारे के साक्षी बने श्रद्धालु इस दृश्य से अभिभूत हो गए।

चार धाम यात्रा में अन्य मंदिरों के कपाट बंद

चार धाम यात्रा के अन्य तीर्थस्थलों के कपाट भी अब बंद होने लगे हैं। कल गंगोत्री धाम के कपाट बंद किए गए, जो कि उत्तराखंड के चार धामों में से एक है और मां गंगा का निवास स्थान माना जाता है। गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद होंगे। इसके बाद बदरीनाथ धाम के कपाट आखिरी बार बंद किए जाएंगे, जो इस यात्रा का समापन करेगा।

इस प्रकार, सर्दियों के मौसम में चार धामों के कपाट बंद होते हैं और भगवानों की प्रतिमाएं नीचे क्षेत्रों में स्थित मंदिरों में विराजमान की जाती हैं। यहां श्रद्धालु सर्दियों के छह महीनों तक दर्शन कर सकते हैं और वसंत में कपाट खुलने के बाद पुनः इन पवित्र स्थलों का रुख करते हैं।