Adani Group: आंध्र प्रदेश सरकार और अडानी ग्रुप के बीच 7,000 मेगावाट की सौर परियोजना पर छाए विवाद ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। हाल ही में खबर आई कि सरकार इस परियोजना के अनुबंध को रद्द करने की योजना बना रही है। यह खबर ऐसे समय में आई जब अडानी ग्रुप पर अमेरिका में रिश्वत के आरोप लगे हैं। हालांकि, इस अनुबंध को रद्द करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि इसके आर्थिक और ऊर्जा संकट से जुड़े गहरे प्रभाव हो सकते हैं।
परियोजना रद्द करने की चुनौतियां
अगर आंध्र प्रदेश सरकार इस परियोजना को रद्द करती है, तो उसे दो विकल्पों में से किसी एक का सामना करना पड़ेगा। पहला विकल्प है 2,100 करोड़ रुपये का जुर्माना भरना, और दूसरा है 1.61 लाख करोड़ रुपये का बिजली बिल चुकाना। दोनों ही विकल्प राज्य की वित्तीय स्थिति पर भारी बोझ डाल सकते हैं।
मुख्यमंत्री नायडू की समीक्षा और नोट तैयार
प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू खुद इस विवादित परियोजना की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के लिए एक विस्तृत नोट तैयार किया है, जिसमें संभावित विकल्पों और उनके वित्तीय परिणामों का जिक्र है। इस परियोजना पर नायडू की समीक्षा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इसमें विपक्ष के नेता वाईएस जगन मोहन रेड्डी और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के खिलाफ 1,750 करोड़ रुपये के कथित रिश्वत के आरोप शामिल हैं।
टैरिफ पर पुनर्विचार का विकल्प
राज्य सरकार इस परियोजना पर टैरिफ (बिजली दर) को लेकर पुनर्विचार करने का विकल्प भी तलाश रही है। एजीईएल ने 2.49 रुपये प्रति किलोवाट घंटे (kWh) का टैरिफ प्रस्तावित किया है। हालांकि, राज्य बिजली विभाग के दस्तावेजों से पता चलता है कि यह टैरिफ वास्तविक लागत से कम है।
- जीएसटी और सीमा शुल्क: ये टैरिफ को 3.069 रुपये प्रति kWh तक बढ़ा सकते हैं।
- ट्रांसमिशन घाटा: सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा लगाया गया यह घाटा 80 पैसे प्रति kWh जोड़ देगा, जिससे टैरिफ 3.869 रुपये प्रति kWh तक पहुंच जाएगा।
इस दर पर, परियोजना का कुल बिजली बिल 25 वर्षों में 1.61 लाख करोड़ रुपये होगा।
अन्य विकल्प: PSA को समाप्त करना
सरकार के पास एक और विकल्प है: सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ बिजली खरीद समझौते (PSA) को समाप्त करना। हालांकि, यह विकल्प भी सस्ता नहीं है। अगर सरकार PSA रद्द करती है, तो उसे 2,100 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ेगा।
अडानी ग्रुप के खिलाफ आरोप और बढ़ता दबाव
अमेरिका में अडानी ग्रुप पर रिश्वत के आरोपों ने आंध्र प्रदेश सरकार के इस फैसले को और जटिल बना दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर अडानी ग्रुप के साथ पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बीच परियोजना पर निर्णय लेना मुख्यमंत्री नायडू के लिए एक बड़ी राजनीतिक और आर्थिक चुनौती बन गया है।
भविष्य की राह
आंध्र प्रदेश सरकार के लिए यह तय करना आसान नहीं है कि परियोजना जारी रखी जाए या रद्द की जाए।
- परियोजना जारी रखने पर: राज्य को महंगे टैरिफ का बोझ उठाना पड़ेगा।
- परियोजना रद्द करने पर: भारी जुर्माना या ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
आंध्र प्रदेश की सरकार इस समय एक जटिल स्थिति में है, जहां हर विकल्प राज्य की वित्तीय और राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। मुख्यमंत्री नायडू का अगला कदम इस विवाद को किस दिशा में ले जाएगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। साथ ही, यह निर्णय आंध्र प्रदेश की ऊर्जा नीतियों और निवेश माहौल पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।