UP Politics: अपने बयानों को लेकर लंबे समय से विवादों में चल रहे नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि उन्होंने पर्टी से नहीं बल्कि अपने पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लंबा चौड़ा खत लिखा है और इस्तीफे के कारणों को साझा किया है। उन्होंने कहा है कि वह पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए कोशिश करते रहेंगे। आइए जानते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश को लिखे पत्र में क्या सब कहा है।
नहीं माना गया रथ यात्रा का प्रस्ताव
अपने इस्तीफे में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि पार्टी को जनाधार देने के लिए उन्होंने 2023 में जातिवार जनगणना, आरक्षण बचाने, बेरोजगारी व संविधान बचाने के लिए अखिलेश यादव को रथयात्रा निकालने का सुझाव दिया था। अखिलेश ने होली के बाद इस यात्रा को शुरू करने पर सहमति दिखाई थी। हालांकि, इस यात्रा को कभी शुरू नहीं किया गया।
सिर कलम करने, जीभ काटने की धमकी दी गई- मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मैंने ढोंग ढकोसला, पाखंड व आडंबर पर प्रहार किया तो भी यही लोग फिर इसी प्रकार की बात कहते नजर आये, हमें इसका भी मलाल नहीं, क्योंकि मैं तो भारतीय संविधान के निर्देश के क्रम में लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा कर लोगों को सपा से जोड़ने की अभियान में लगा रहा, यहाँ तक कि इसी अभियान के दौरान, मुझे गोली मारने, हत्या कर देने, तलवार से सिर कलम करने, जीभ काटने, नाक-कान काटने, हाथ काटने आदि-आदि लगभग दो दर्जन धमकियाँ व हत्या के लिए 51 करोड़, 51 लाख, 21 लाख, 11 लाख, 10 लाख आदि भिन्न-भिन्न रकम देने की सुपारी भी दी गई, अनेको बार जानलेवा हमले भी हुए, यह बात दीगर है कि प्रत्येक बार में बाल-बाल बचता चला गया। उल्टे सत्ताधारियों द्वारा मेरे खिलाफ अनेको एफआईआर भी दर्ज कराई गई किंतु अपनी सुरक्षा की बिना चिंता किये हुए मैं अपने अभियान में निरंतर चलता रहा।
पार्टी में भेदभाव का आरोप भी लगाया
अखिलेश यादव को लिखे गए पत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मैनें अपने तौर-तरीके से पार्टी का जनाधार बढ़ाना जारी रखा। लेकिन भाजपा के जाल में फंसे लोगों को वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के कुछ छुटभइये नेता इसे मौर्य जी का निजी बयान बताने लगे। स्वामी ने आगे कहा है कि मैं सपा का राष्ट्रीय महासचिव हूं लेकिन मेरा बयान निजी हो जाता है लेकिन अन्य राष्ट्रीय महासचिव के बयान पार्टी का बयान हो जाते हैं। ये हैरानी की बात है। उन्होंने पत्र में कहा कि यदि महासचिव के पद में भी भेदभाव है तो मैं इस पद का त्याग करता हूं।