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Congress News:कांग्रेस में शुरू हुई सर्जरी, समझिए एक्शन के तरीके से किसकी जाएगी कुर्सी?

Congress News: लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने छात्र इकाई एनएसयूआई और महिला कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की है. पार्टी के इस एक्शन को संगठन में सर्जरी के तौर पर देखा जा रहा है. दोनों संगठन में जो कार्रवाई का तरीका है, उसने पार्टी के मुख्य संगठन

Congress News: लोकसभा चुनाव के बाद ओल्ड ग्रैंड पार्टी कांग्रेस ने अपने संगठन में सर्जरी शुरू कर दी है. शुरुआत महिला कांग्रेस और छात्र इकाई एनएसयूआई से हुई है. पार्टी ने 9 राज्यों में एनएसयूआई के अध्यक्ष को बदल दिया है, जबकि 3 राज्यों में महिला कांग्रेस की प्रमुख बदली गई हैं. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस बाबत पत्र भी जारी किया है. छात्र संगठन और महिला कांग्रेस में हुए इन बदलावों के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या पार्टी के मुख्य संगठन में भी परिवर्तन होगा? अगर हां तो कहां-कहां पर?

NSUI और महिला कांग्रेस में बदलाव

1. कांग्रेस ने जिन राज्यों में एनएसयूआई के अध्यक्ष बदले हैं, वहां हालिया लोकसभा चुनाव में उन राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब था. मसलन, कांग्रेस ने बिहार, बंगाल, झारखंड, ओडिशा, दिल्ली, तेलंगाना और हिमाचल में एनएसएयूआई के अध्यक्ष बदले हैं. कुछ दिनों पहले पार्टी ने राजस्थान में भी एनएसयूआई के अध्यक्ष बदले थे. बंगाल, ओडिशा, दिल्ली और हिमाचल में कांग्रेस जीरो सीट पर सिमट गई तो बिहार और झारखंड में उसका प्रदर्शन काफी खराब था. राजस्थान और तेलंगाना में कांग्रेस की सीटें तो बढ़ीं, लेकिन उसे उम्मीदों के मुताबिक जीत नहीं मिली.

2. सर्वे एजेंसी सीएसडीएस के मुताबिक इस बार के लोकसभा चुनाव में 27 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को मुद्दा बताया था. यूपी जैसे राज्यों में यह प्रभावी भी रहा, लेकिन कांग्रेस की छात्र इकाई बिहार, बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, हिमाचल और तेलंगाना जैसे राज्यों में इसे मुद्दा नहीं बना पाई. सीएसडीएस के मुताबिक छात्रों की नाराजगी के बावजूद बीजेपी ने युवाओं के वोटों को मैंटेन रखा. 2019 में पार्टी को 18-25 साल के वोटरों का 40 प्रतिशत वोट मिला था, 2024 में यह संख्या 39 प्रतिशत रहा.

3. कांग्रेस ने एनएसयूआई की नियुक्तियों में जातिगत समीकरण का भी ध्यान रखा है. मसलन, झारखंड में आदिवासी समुदाय के विनय ओरांव, बिहार में यादव समुदाय के जयशंकर प्रसाद, राजपूत बिरादरी के अभिनंदन ठाकुर को हिमाचल छात्र इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है. पार्टी ने एक पद-एक व्यक्ति का भी फॉर्मूला लागू किया है. तेलंगाना में एमएलसी बनाए गए बी वैकेंट को हटाकर वाईवी स्वामी को एनएसयूआई का अध्यक्ष बनाया गया है.

4. महिला कांग्रेस में 3 अध्यक्षों की नियुक्ति को इनाम के तौर पर देखा जा रहा है. चंडीगढ़ महिला कांग्रेस की अध्यक्ष नियुक्त नंदिता हुड्डा लोकसभा से पहले एक्टिंग प्रेसिडेंट बनाई गई थीं. यहां पर महिला संगठनों ने बेहतरीन काम किया और पार्टी 10 साल बाद चंडीगढ़ की सीट जीत पाई. इसी तरह बेंगलुरु में मजबूती से लड़ाई लड़ने वाली सौम्या रेड्डी को पार्टी ने कर्नाटक महिला कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है. सौम्या को डीके शिवकुमार गुट की हैं और उनकी नियुक्ति पंचायत और निकाय चुनाव के मद्देनजर की गई है.

कांग्रेस के मुख्य संगठनों में भी होगा बदलाव?

साल 2022 में मल्लिकार्जुन खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद से ही इस बात की चर्चा है. लोकसभा चुनाव के बाद से इसकी सुगबुगाहट और तेज हो गई. वजह कई राज्यों में पार्टी का खराब परफॉर्मेंस का होना है. तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष के पास 2-2 पद है. इसकी वजह से भी बदलाव की चर्चा इन राज्यों में हो रही है.

इन बदलावों को लेकर कांग्रेस के बाहर और भीतर काफी समय से चर्चा हो रही है, लेकिन एनएसयूआई और महिला कांग्रेस के अध्यक्ष के भीतर जिस तरह से नियुक्ति हुई है, इससे यह कहा जा रहा है कि मुख्य संगठन में भी जल्द ही बदलाव हो सकते हैं.

बदलाव हुए तो इनकी जा सकती है कुर्सी?

एनएसयूआई में उन राज्यों के अध्यक्षों को हटाया गया है, जहां पर कांग्रेस का परफॉर्मेंस काफी खराब था. अगर यही पैटर्न मुख्य संगठन में लागू होता है तो बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हिमाचल जैसे राज्यों को नया अध्यक्ष मिल सकता है. वर्तमान में बिहार में अखिलेश प्रसाद सिंह, छत्तीसगढ़ में दीपक बैज, मध्य प्रदेश में जीतू पटवारी और हिमाचल में प्रतिभा सिंह अध्यक्ष हैं.

ओडिशा और बंगाल में पहले ही पुराने अध्यक्ष हटाए जा चुके हैं. ऐसे में यहां भी नए अध्यक्षों की नियुक्ति होना है. बंगाल कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा है कि नए अध्यक्ष नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जल्द ही बंगाल को नया अध्यक्ष मिलेगा.

झारखंड और दिल्ली में भी कांग्रेस का परफॉर्मेंस खराब रहा है, लेकिन इन दोनों राज्यों को लेकर अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं. दिल्ली में चुनाव से ठीक पहले देवेंद्र यादव को कमान मिली थी, जबकि झारखंड में 2 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं.

तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंथ रेड्डी मुख्यमंत्री भी हैं. इसी तरह का मामला कर्नाटक में है. यहां पर अध्यक्ष डीके शिवकुमार के पास डिप्टी सीएम की कुर्सी है. कांग्रेस में एक पद-एक व्यक्ति का फॉर्मूला लागू होता है तो दोनों को हटाया जा सकता है.

कई राज्यों के प्रभारी-महासचिव भी रडार पर

यूपी में कांग्रेस के तीन बड़े पदों पर सवर्ण नेता ही काबिज हैं. अध्यक्ष अजय राय (भूमिहार), विधायक दल की नेता अराधना मिश्र (ब्राह्मण) और महासचिव अविनाश पांडे (ब्राह्मण). हाल के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने यूपी में बड़ी जीत तो दर्ज की, लेकिन सवर्णों का वोट उसे सिर्फ 16 प्रतिशत ही मिला. इसके बाद से ही चर्चा है कि कांग्रेस यहां महासचिव को बदल सकती है.

बंगाल और ओडिशा में भी प्रभारी बदले जाने की बात कही जा रही है. दोनों ही राज्यों में कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई है. ओडिशा के प्रभारी अजॉय कुमार के पास तमिलनाडु का भी प्रभार है. इसी तरह बंगाल के प्रभारी गुलाम अहमद मीर झारखंड के प्रभारी हैं.

दिल्ली के प्रभारी दीपक बाबरिया ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है. यहां भी नए प्रभारियों की नियुक्ति होनी है. असम के प्रभारी जितेंद्र सिंह के पास मध्य प्रदेश का भी प्रभार है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस इस बार के चुनाव में जीरो सीट पर सिमट गई.

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