J&K Election 2024: सितंबर का महीना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आ रहा है, खासकर जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर। दोनों राज्यों में चुनाव की तैयारी अपने चरम पर है और इस बार के चुनावों में कुछ नई और महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में चुनावी दांव भी शामिल है।
समाजवादी पार्टी का जम्मू-कश्मीर में प्रवेश
अखिलेश यादव की अध्यक्षता में समाजवादी पार्टी जम्मू-कश्मीर की सात विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इन सीटों में पुलवामा, राजपोरा, कुलगाम, सोपोर, अनंतनाग, और किश्तवाड़ शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि सपा इन सीटों पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतार रही है। यह कदम पार्टी की राष्ट्रीय विस्तार की योजनाओं का एक हिस्सा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में अपनी उपस्थिति मजबूत करना भी शामिल है।
सपा ने इस चुनावी यात्रा के लिए जियालाल वर्मा को जम्मू-कश्मीर का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। वर्मा ने प्रत्याशियों की सूची तैयार की है, जो आज सार्वजनिक हो सकती है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के साथ गठबंधन में सपा की कोई जगह नहीं बन पाई है, फिर भी अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी को एक नई दिशा देने की ठान ली है।
सपा और कांग्रेस का गठबंधन न होना: क्या है इसके पीछे?
सपा और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ सपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था, लेकिन जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन किया है। इससे सपा को गठबंधन में कोई सीट मिलने की संभावना कम हो गई है। बावजूद इसके, अखिलेश यादव ने कश्मीर में सपा की संभावनाओं को देखते हुए खुद को पूरी तरह से तैयार कर लिया है।
सपा की लोकसभा में सफलता और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने 'INDIA' ब्लॉक का हिस्सा रहते हुए 37 सीटें जीतीं और इस तरह देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। इस सफलता के बाद, अखिलेश यादव ने पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए कदम उठाए हैं। इसके लिए वे महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में सीटों के लिए गठबंधन की मांग कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के साथ उनकी बातचीत की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।
निष्कर्ष
सितंबर के विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा दोनों ही राज्यों में राजनीतिक दंगल देखने को मिलेगा। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में अपनी ताकतवर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और इस बार पार्टी की रणनीति विशेष रूप से मुस्लिम बहुल सीटों पर फोकस करने की रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सपा की यह नई रणनीति चुनावी नतीजों में सफलता दिला पाएगी और पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने में मदद करेगी।