Manipur Violence:मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री के घर पर रॉकेट से हमला- 1 की मौत, 5 घायल

10:01 PM Sep 06, 2024 | zoomnews.in

Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर कुकी उग्रवादियों द्वारा किए गए रॉकेट बम हमले ने एक बार फिर स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया। दोपहर 3 बजे किए गए इस हमले में एक बुजुर्ग की मौत हो गई और पांच लोग घायल हो गए। यह हमला मोइरांग में पहाड़ी से लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर हुआ, जहां धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी कर रहे बुजुर्ग की मौत हुई।

पूर्व मुख्यमंत्री की यादें और उनके योगदान

कांग्रेस नेता मैरेम्बम कोइरेंग मणिपुर के पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनकी राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1963 से 1968 तक मुख्यमंत्री रहकर उन्होंने राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उनका निधन 27 दिसंबर 1994 को हो चुका है, लेकिन उनकी यादें और योगदान आज भी लोगों के दिलों में ताजा हैं।

ड्रोन अटैक: एक नया संकट

हाल ही में मणिपुर में हुए ड्रोन हमलों ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। 1 से 3 सितंबर के बीच हुए ड्रोन हमलों में एक महिला समेत 3 लोग घायल हुए और 2 लोगों की मौत हो गई। यह पहली बार है जब मणिपुर में ड्रोन के माध्यम से हमला किया गया है, और इसे लेकर राज्य में व्यापक चिंता जताई जा रही है। ड्रोन वॉरफेयर के लिए म्यांमार से तकनीकी सहायता और ट्रेनिंग मिलने की आशंका जताई जा रही है।

एंटी-ड्रोन उपाय और सुरक्षा के प्रयास

इन घटनाओं के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने मणिपुर में पहली बार एंटी-ड्रोन मीडियम मशीन गन के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। डीजीपी राजीव सिंह ने कहा कि ड्रोन हमलों की गंभीरता को समझते हुए, उन्होंने दिल्ली में NSG के डायरेक्टर जनरल और अन्य विशेषज्ञों से सलाह ली है। इसके अतिरिक्त, पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 198 केंद्रीय बलों की कंपनियों को तैनात किया गया है।

स्थानीय स्थिति और मानवाधिकार संकट

ड्रोन हमले के बाद कौत्रुक गांव के सभी 17 परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। इस घटना ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी है और कॉलेजों के बंद होने की आशंका बढ़ गई है। स्थानीय निवासी प्रियोकुमार ने सुरक्षा की कमी के कारण गांव छोड़ने का निर्णय लिया है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

कुकी-जो संगठनों की मांग और राजनीतिक समीकरण

कुकी-जो संगठनों ने मणिपुर में एक अलग कुकीलैंड बनाने की मांग की है, जिसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए। उनका तर्क है कि पुडुचेरी की तर्ज पर एक विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश राज्य को जातीय संघर्ष से बाहर निकाल सकता है। हालांकि, मणिपुर सरकार का कहना है कि मुख्यमंत्री की आवाज़ से छेड़छाड़ की गई है और शांति की पहल को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है।

मणिपुर हिंसा की जड़ों की पड़ताल

मणिपुर में हिंसा की शुरुआत मार्च 2023 में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर विवाद से हुई। अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है, और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से अधिक लोग अपने घर छोड़ चुके हैं। मैतेई समुदाय की जनजाति का दर्जा पाने की मांग और कुकी-नगा समुदाय के विरोध ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

निष्कर्ष

मणिपुर में हिंसा और आतंकवाद की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। कुकी उग्रवादियों द्वारा किए गए हमले और ड्रोन अटैक ने सुरक्षा को एक नई चुनौती दी है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के प्रयासों के बावजूद, स्थानीय लोगों की सुरक्षा और शांति की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इस संकट को हल करने के लिए व्यापक और प्रभावी रणनीतियों की आवश्यकता है, ताकि मणिपुर में स्थिरता और शांति की बहाली संभव हो सके।