Reserve Bank Of India: क्या आप भी बैंक लोन डिफॉल्टर हैं? तो ये खबर आपके लिए ही है. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने लोन डिफॉल्टर्स के लिए मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. इसके लिए आरबीआई की ओर से सभी बैंकों और एनबीएफसी को गाइडलाइन भी जारी कर दी है. आरबीआई ने साफ लफ्जों में कह दिया है कि अगर कोई जांच में विलफुल डिफॉल्टर पाया गया तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. आरबीआई विलफुल डिफॉल्टर को लेकर कई बार बयान जाारी कर चुका है और बैंकों निर्देश भी जारी किए हैं, इस बार आरबीआई ने विलफुल डिफॉल्टर्स पर सख्त एक्शन लेने का मन बना लिया है.
आरबीआई ने मंगलवार को विलफुल डिफॉल्टर्स और बड़े डिफॉल्टर्स से निपटने पर एक निर्देश जारी किया है. इसके तहत बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों यानी एनबीएफसी को 25 लाख रुपए और उससे अधिक की बकाया राशि वाले सभी नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स यानी एनपीए अकाउंट्स में विलफुल डिफॉल्टर की जांच करनी होगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरबीआई की ओर से किस तरह का निर्देश जारी किया है.
कौन है विलफुल डिफॉल्टर?
बैंक एक विशेष प्रक्रिया का पालन करके किसी व्यक्ति की पहचान करेंगे और उसे विलफुल डिफॉल्टर के रूप में कैटेगराइज करेंगे. निर्देश के अनुसार, इरादतन चूक के सबूतों की जांच एक पहचान समिति करेगी. विलफुल डिफॉल्टर का अर्थ है एक ऐसा कर्जदार या गारंटर जिसने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाया है और उसकी बकाया राशि 25 लाख रुपए से अधिक है.
अगर पाए गए विलफुल डिफॉल्टर
आरबीआई ने कहा कि बैंक 25 लाख रुपये और उससे अधिक की बकाया राशि वाले सभी एनपीए अकाउंट्स में विलफुल डिफॉल्टर की समय-समय पर जांच करेंगे. यदि आंतरिक शुरुआती जांच में कोई जानबूझकर चूक की बात सामने आती है, तो लेंडर खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किए जाने के छह महीने के भीतर कर्जदार को विलफुल डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने के प्रोसेस पूरा कर लेंगे. आरबीआई के निर्देश में आगे कहा गया है कि लेंडर्स को इस संबंध में एक गैर-भेदभावपूर्ण बोर्ड से मंजूरी प्राप्त पॉलिसी तैयार करनी चाहिए.