Bihar News:बिहार में जहरीली शराब ने लील ली 25 जिंदगियां, जिम्मेदार कौन, क्या हुई कार्रवाई?

09:17 PM Oct 17, 2024 | zoomnews.in

Bihar News: बिहार में शराबबंदी के बावजूद एक बार फिर जहरीली शराब ने कहर बरपाया है, जिससे छपरा और सिवान में मातम का माहौल है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 25 तक पहुंच गई है, और कई लोग अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं। सारण और सिवान जिले के विभिन्न इलाकों में हुई इन मौतों ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। हर पंचायत में लोग दुःख और दर्द में हैं, जहां दरवाजों पर शव रखे हैं और बच्चों की चीखें सुनाई दे रही हैं।

खैरा गांव की त्रासदी

सिवान जिले के खैरा गांव में स्थिति और भी गंभीर है, जहां एक साथ 7 लोगों की मौत हुई है। गांव के हर तीसरे घर में चीत्कार है, महिलाओं का रोना और बच्चों का विलाप इस त्रासदी को और बढ़ा रहा है। इस दर्दनाक घटना के बीच, शराबबंदी को समाप्त करने की सियासी मांग उठने लगी है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या बिहार में शराबबंदी सिर्फ एक दिखावा है?

शराबबंदी की जमीनी हकीकत

बिहार में 2016 से शराबबंदी लागू है, लेकिन यह कोई रहस्य नहीं है कि गांवों में शराब धड़ल्ले से उपलब्ध है। हर महीने किसी न किसी जिले में जहरीली शराब पीने से मौतों की खबरें आती हैं। स्थानीय प्रशासन अक्सर मौतों के आंकड़ों को छिपाने के लिए शवों को चुपचाप जलाने की कोशिश करता है। हाल ही में 6 शवों को एक साथ जलाने की घटना ने इस समस्या को और उजागर किया है।

पुलिस और प्रशासन की भूमिका

बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद प्रशासन ने कुछ चौकीदारों को निलंबित किया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्थानीय थाने के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। पिछले साल 2022 में इसी इलाके में जहरीली शराब पीने से 72 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।

सियासी बयानबाजी और आरोप

इस घटना ने राजनीतिक बयानबाजी को भी जन्म दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबंधित अधिकारियों को कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जबकि विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर आरोप लगाया कि जहरीली शराब के कारण 27 लोगों की हत्या हुई है और यह सब सरकार के संरक्षण में हो रहा है। उन्होंने सरकार की विफलता पर सवाल उठाते हुए पूछा, "अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे पर शराब उपलब्ध है, तो यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की असफलता नहीं है?"

निष्कर्ष

बिहार में जहरीली शराब से हुई इन मौतों ने न केवल परिवारों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह सवाल भी उठाया है कि क्या राज्य सरकार शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू कर पा रही है। इस मुद्दे पर राजनीति गर्मा गई है और लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। बिहार में जब तक शराबबंदी की वास्तविकता का सामना नहीं किया जाता, तब तक ऐसे दुखद घटनाओं का सिलसिला जारी रह सकता है।