Yogi Cabinet News: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ कैबिनेट का विस्तार हो गया है. कैबिनेट विस्तार में राज्यपाल ने चार नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाई है. इन चार चेहरों में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के मुखिया ओमप्रकाश राजभर भी शामिल हैं. करीब चार साल का वनवास खत्म करने के बाद ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर से योगी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए. बीजेपी और योगी सरकार से नाराजगी के चलते राजभर के साथ-साथ उनके दो मंत्रियों ने मई 2019 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
लखनऊ में राजभवन में हुए शपथ ग्रहण में ओमप्रकाश राजभर के साथ-साथ बीजेपी नेता दारा सिंह चौहान, आरएलडी विधायक अनिल कुमार और बीजेपी नेता सुनील कुमार शर्मा ने उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. योगी कैबिनेट में शामिल होने के बाद राजभर ने कहा कि गरीबों की सेवा का जो लक्ष्य है, उसमें हम अनवरत काम करते रहते हैं. सरकार की जो योजनाएं हैं उसे हम गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों तक पहुंचाने का काम करेंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे.
2019 में एनडीए से क्यों अलग हुए थे राजभर?
साल 2019 में योगी कैबिनेट से इस्तीफे के बाद ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था. तब राजभर ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें एक सीट देने को तैयार नहीं थी. उन्होंने दावा करते हुए कहा था कि बीजेपी चाहती थी कि वह कमल के सिंबल पर ही लोकसभा चुनाव लड़े. एनडीए से अलग होने के बाद ओम प्रकाश राजभर ने योगी सरकार के साथ-साथ मोदी सरकार के खिलाफ किस तरह से बयानबाजी की थी यह किसी से छिपा नहीं है.
कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद राजभर ने योगी सरकार पर ओबीसी समाज के साथ धोखा देने का भी आरोप लगाया था. राजभर ने तो यहां तक कह दिया था कि बीजेपी यूपी में जातीय जनगणना कराने के वादे से मुकर गई. हालांकि राजभर के इस्तीफे के बाद यूपी की सियासत में एक बात और तैर रही थी जो कि गाजीपुर के डीएम के तबादले को लेकर थी.
गाजीपुर के डीएम का तबादला चाहते थे राजभर
योगी सरकार में मंत्री बनने के कुछ महीने बाद ही राजभर ने उस वक्त गाजीपुर के डीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. कहा जाता है कि राजभर योगी सरकार पर लगातार उस डीएम के तबादले का दबाव बना रहे थे, लेकिन सरकार उनकी बात को अनसुना करते रही. जब राजभर को लगा कि एक मंत्री के कहने पर जब डीएम का ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है तो फिर सत्ता में रहने का क्या मतलब है. इसके बाद उन्होंने सरकार से अलग होने का फैसला किया.
2022 आते-आते अखिलेश यादव के साथ हो गए
योगी सरकार से अलग होने के बाद ओमप्रकाश राजभर अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी के करीब जाने लगे. यूपी में 2022 का विधानसभा चुनाव आते-आते राजभर और अखिलेश यादव में दोस्ती हो गई है. गठबंधन हो गया और विधानसभा चुनाव में साथ उतरे. राजभर जिन हवाओं का रुख देखकर अखिलेश यादव के साथ मैदान में उतरे थे चुनाव आते-आते उस हवा की दिशा बदल गई. यूपी में फिर से योगी सरकार की वापस हुई और बीजेपी ने बंपर सीट के साथ जीत दर्ज की.
चुनाव में योगी सरकार की हुई थी दमदार वापसी
विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की मिट्टी पलीद हो गई. बीजेपी अपने दम पर 255 सीटें जीत ली, सहयोगी दलों ने भी शानदार प्रदर्शन किया. विरोधी सुभासपा के खाते में 6 और समाजवादी पार्टी के खाते में 111 सीटें आईं. चुनाव में सपा की करारी हार के बाद राजभर न इधर के हुए न उधर के. चुनाव के एक साल बाद राजभर का फिर से मिजाज बदला और वो धीरे-धीरे बीजेपी के करीब आने लगे. जुलाई 2023 में राजभर ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उसी दिन एनडीए में शामिल होने का ऐलान हो गया.
खत्म हुआ चार साल का वनवास
एनडीए में शामिल होने के बाद राजभर के योगी कैबिनेट में भी शामिल होने की चर्चा तेज हो गई थी. कहा जाता था कि योगी आदित्यनाथ राजभर को फिर से कैबिनेट में शामिल करने के इच्छुक नहीं थे. कुछ लोगों का यह भी मानना था कि बीजेपी राजभर को कैबिनेट में शामिल करने के लिए सही समय का इंतजार कर रही है. करीब पांच महीने तक कैबिनेट विस्तार का इंतजार करने के बाद पिछले साल दिसंबर में राजभर एक बार फिर दिल्ली पहुंचे और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. हालांकि, तमाम कयासों के बाद राजभर अब योगी सरकार का हिस्सा हो गए हैं. इस तरह से राजभर अपना चार साल का वनवास खत्म करते हुए मंत्री भी बन गए हैं.