+

Reliance Industries:अब 'सर्कुलर इकोनॉमी' का किंग भारत बनेगा, ये है वजह

Reliance Industries: भारत सरकार के सर्कुलर इकोनॉमी के किंग बनने के सपने को रिलायंस इंडस्ट्रीज तेजी से पूरा करने के तरफ बढ़ रही है. कंपनी का लक्ष्य अपने टार्गेट को 2030 तक पूरा करने का है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

Reliance Industries: रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (RIL) ने 29 दिसंबर 2023 को प्लास्टिक कचरे को रासायनिक रूप से रिसाइकल करके नए प्लास्टिक के लिए हाई क्वालिटी वाली सामग्री बनाने का इतिहास रचा है. यह काम करने वाली वह भारत की पहली कंपनी बन गई है. आरआईएल ने प्लास्टिक वेस्ट बेस्ड पायरोलिसिस तेल को रासायनिक रूप से इंटरनेशनल स्टेबिलिटी एंड कार्बन सर्टिफ़िकेशन (ISCC) प्लस सर्टिफिकेशन सर्कुलर पॉलिमर में रिसायकल किया. रासायनिक रिसायकल के कई फ़ायदे हैं, जिनमें प्लास्टिक कचरे को नए प्लास्टिक के लिए हाई क्वालिटी वाली सामग्री में बदलना भी शामिल है. इन सामग्रियों का इस्तेमाल भोजन पैकेजिंग के लिए किया जा सकता है.

2030 का रिलायंस ग्रुप ने रखा है ये लक्ष्य

आरआईएल ने इस काम के जरिए भारत में प्लास्टिक कचरे को कम करने और एक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए अपनी सहभागिता दिखाई है. समाज को प्लास्टिक को ‘वेस्ट मटेरियल’ के रूप में नहीं बल्कि एक रिन्यूएबल रिसोर्स के रूप में सोचने की ज़रूरत है. रिलायंस का लक्ष्य 2030 तक अपनी सभी सस्टेनेबल सोर्स के माध्यम से 1 मिलियन टन की कुल क्षमता तक पहुंचने का है. गुजरात में इसकी जामनगर रिफाइनरी अब आईएससीसी-प्लस सर्टिफाइड सर्कुलर पॉलिमर, पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलीथीन का उत्पादन करने के लिए रासायनिक रूप से रिसायकल पायरोलिसिस तेल का प्रोसेसिंग कर रही है.

क्या होती है सर्कुलर इकोनॉमी?

सर्कुलर इकोनॉमी एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें उत्पादों और सामग्रियों का इस्तेमाल ज़्यादा से ज़्यादा समय तक किया जाता है. इसमें उत्पादों को साझा करना, पट्टे पर देना, मरम्मत करना, दोबारा से उपयोग करना, इनोवेशन करना शामिल है. सर्कुलर अर्थव्यवस्था पारंपरिक रैखिक अर्थव्यवस्था का एक स्थायी विकल्प है, जिसमें वेस्ट मटेरियल को कम किया जाता है और संसाधनों को संरक्षित किया जाता है. इससे पॉल्यूशन कम होता है और कंपनियों का पैसा भी बचता है.

facebook twitter