Gujarat Government: गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार ने बुधवार को सरकारी कर्मचारियों के हित में दो बड़े फैसले किए हैं। सरकार ने रिटायरमेंट और डेथ ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया है। इसके अलावा, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के महंगाई भत्ते (DA) में भी 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इन फैसलों से राज्य के लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधा लाभ मिलेगा।
रिटायरमेंट और डेथ ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ी
गुजरात सरकार के इस फैसले के बाद अब राज्य के सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। इससे पहले, ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये थी, जिसे अब 25 प्रतिशत बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है। यह नई सीमा 1 जनवरी, 2024 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों पर लागू होगी।
सरकार के इस कदम से सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय सुरक्षा में वृद्धि होगी। हालांकि, यह वृद्धि केवल उन्हीं कर्मचारियों पर लागू होगी जो अगले साल जनवरी से रिटायर होंगे। इससे पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को पुरानी सीमा के अनुसार ही भुगतान किया जाएगा।
सरकार पर वित्तीय प्रभाव
ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाने से गुजरात सरकार पर हर साल 53.13 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। लेकिन इस फैसले से कर्मचारियों को मिलने वाला लाभ सरकार की समावेशी नीतियों को दर्शाता है।
महंगाई भत्ते (DA) में 3% की वृद्धि
ग्रेच्युटी सीमा बढ़ाने के साथ ही गुजरात सरकार ने राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स के महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत की वृद्धि का भी ऐलान किया है। अब कर्मचारियों को उनकी बेसिक सैलरी का 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा।
महंगाई भत्ते की नई दरें 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगी। जुलाई से नवंबर तक के बकाया डीए का भुगतान दिसंबर 2024 की सैलरी के साथ किया जाएगा। पेंशनर्स को इसका भुगतान जनवरी 2025 में किया जाएगा। इस फैसले का लाभ राज्य के 9 लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिलेगा।
सरकार का कर्मचारियों के लिए बड़ा कदम
गुजरात सरकार के ये फैसले कर्मचारियों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। बढ़ी हुई ग्रेच्युटी सीमा और महंगाई भत्ते में वृद्धि न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाएगी, बल्कि राज्य में कार्यरत कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बेहतर भविष्य की गारंटी भी होगी।
यह कदम सरकार और कर्मचारियों के बीच सकारात्मक संबंध को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। ऐसे निर्णय न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाते हैं, बल्कि राज्य के विकास में उनके योगदान को भी मान्यता देते हैं।