Rajya Sabha: राज्यसभा की 12 सीटों पर हाल ही में हुए उपचुनावों में सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 11 सीटों पर जीत मिली, जबकि कांग्रेस के खाते में एक सीट आई है। इस परिणाम से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राज्यसभा में पकड़ और मजबूत हो गई है और एनडीए ने बहुमत तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की है। यह पहली बार है जब एनडीए राज्यसभा में आत्मनिर्भर हो गई है, जिससे मोदी सरकार को महत्वपूर्ण बिल पास कराने में काफी आसानी होगी।
कैसे बनी एनडीए की स्थिति मजबूत
राज्यसभा की 12 सीटों में बीजेपी के 9 और उसके सहयोगी दलों के 2 सदस्य निर्विरोध चुने गए हैं। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी तेलंगाना से निर्विरोध चुने गए हैं। अन्य निर्विरोध चुने गए सदस्य बीजेपी के रवनीत सिंह बिट्टू (राजस्थान), किरण चौधरी (हरियाणा), जॉर्ज कुरियन (मध्य प्रदेश), और मनन कुमार मिश्रा (बिहार) हैं। एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा भी बिहार से विजय हुए हैं।
महाराष्ट्र में बीजेपी के धैर्यशील पाटिल और एनसीपी अजित गुट के नितिन पाटिल, असम से बीजेपी के रामेश्वर तेली और मिशन रंजन दास, ओडिशा से बीजेपी की ममता मोहंता और त्रिपुरा से राजीव भट्टाचार्य भी निर्विरोध चुने गए हैं।
चुनाव की प्रक्रिया और वर्तमान स्थिति
चुनाव आयोग ने इस महीने राज्यसभा उपचुनाव की घोषणा की थी, जिसमें वोटिंग 3 सितंबर को निर्धारित की गई थी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अगस्त और नामांकन वापस लेने की तारीख 27 अगस्त थी। चुनाव के पूर्व सभी सदस्य निर्विरोध चुने गए।
राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं, जिसमें से 8 सीटें खाली हैं। फिलहाल सदन में 237 सदस्य हैं। बहुमत के लिए 119 सदस्यों की जरूरत है। बीजेपी के 9 उम्मीदवार जीतने के बाद पार्टी की संख्या 96 हो गई है और उसके सहयोगी दलों की संख्या 16 है, जिससे एनडीए की संख्या 112 हो गई है। हालांकि एनडीए पूर्ण बहुमत तक नहीं पहुंची, लेकिन 6 मनोनीत और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन से बहुमत का आंकड़ा छू लिया है।
कांग्रेस की स्थिति
तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के निर्विरोध चुने जाने के बाद पार्टी की राज्यसभा में विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रही है। कांग्रेस की संख्या अब 27 हो गई है, जबकि विपक्ष की कुर्सी के लिए 25 सीटें आवश्यक हैं। विपक्षी सदस्य कुल मिलाकर 85 हो गए हैं।
इस प्रकार, एनडीए की राज्यसभा में बहुमत प्राप्त करने की स्थिति ने मोदी सरकार को महत्वपूर्ण बिल पास कराने के लिए स्वतंत्रता प्रदान की है, और विपक्ष की स्थिति भी मजबूत बनी रही है।