Maharashtra Election 2024:नारायण राणे के बेटे नीलेश छोड़ेंगे BJP, होंगे शिवसेना में शामिल, इस सीट से लड़ेंगे

09:14 PM Oct 22, 2024 | zoomnews.in

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं, वहीं महायुति और महा विकास अघाड़ी दोनों गठबंधन जल्द ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने की तैयारी में हैं। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद नारायण राणे के बेटे नीलेश राणे ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि वह भाजपा छोड़कर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो रहे हैं।

नीलेश राणे का शिवसेना में प्रवेश

नीलेश राणे ने मंगलवार को यह जानकारी दी कि वह एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल होने जा रहे हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में कुदाल सीट से चुनाव लड़ेंगे। उनके इस निर्णय के पीछे महायुति गठबंधन के तहत सीट बंटवारे का मुद्दा है, जिसके अनुसार कुदाल सीट शिवसेना के खाते में जाएगी।

कुदाल सीट का महत्व

कुदाल विधानसभा सीट रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। वर्तमान में इस सीट से भाजपा के नारायण राणे सांसद हैं। कुदाल सीट के निकट स्थित कंकावली विधानसभा सीट पर नीलेश राणे के छोटे भाई, भाजपा नेता नीतेश राणे विधायक हैं। कुदाल सीट से वर्तमान में शिवसेना (यूबीटी) के नेता वैभव नायक विधायक हैं। नीलेश राणे का इस सीट पर चुनाव लड़ना निश्चित रूप से शिवसेना के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करेगा।

नीलेश राणे का राजनीतिक सफर

नीलेश राणे का राजनीतिक सफर काफी रोचक रहा है। पहले वह कांग्रेस में थे और 2009 में रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से लोकसभा का चुनाव जीते थे। 2014 में वह भाजपा में शामिल हुए, लेकिन उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना किया। इसके बाद, उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी। लेकिन महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद, उन्होंने पार्टी के लिए काम करना जारी रखने का निर्णय लिया।

निष्कर्ष

नीलेश राणे का शिवसेना में शामिल होना न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में भी एक नया आयाम जोड़ता है। आगामी विधानसभा चुनावों में उनकी भूमिका और कुदाल सीट पर होने वाली प्रतिस्पर्धा पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी। राजनीतिक गलियारों में इस कदम को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं, और देखना होगा कि यह बदलाव चुनाव परिणामों पर किस प्रकार का प्रभाव डालता है।